आकाश शुक्ला, रायपुर। वायरस के स्वरूपों की पहचान करने के लिए रायपुर मेडिकल कॉलेज द्वारा जीनोम सीक्वेसिंग मशीन व लैब के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, कोरोना का नया वेरिएंट डेल्टा प्लस वायरस महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली समेत अन्य राज्यों में फैल रहा है। प्रदेश में भी इसे लेकर जहां राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है। कोरोना के नए वेरिएंट की पहचान करने के लिए जीनोम सीक्वेसिंग जांच की आवश्यकता होती है। इसकी सुविधा राज्य सरकार के पास नहीं होने की वजह से पॉजिटिव रिपोर्ट के पांच फीसद सैंपल विशाखापट्टनम और भुवनेश्वर भेजे जा रहे हैं।
हालांकि, इसमें अभी तक नए वेरिएंट डेल्टा प्लस के केस की पहचान नहीं हुई है। मगर, पड़ोसी राज्यों में जिस तेजी से मरीज बढ़ रहे हैं, राज्य में आने वाले समय में जीनोम सीक्वेसिंग जांच की सुविधाओं की आवश्यकता होगी। इसे देखते हुए रायपुर मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार डीन के माध्यम से डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को भेजा गया।
इसके बाद डीएमई द्वारा इसे राज्य सरकार को भेजा गया है। इसकी जल्द अनुमति मिलने की बात कही गई है। इधर, रायपुर एम्स में जीनो सीक्वेसिंग की जांच लैब शुरू की जा चुकी है। एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर नितिन एम नागरकर ने बताया कि यहां पर जांच सुविधाएं शुरू कर दी गई है।
यह है जीनोम सीक्वेसिंग
कोरोना वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। ऐसे में वायरस के बदलते स्वरूप की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेसिंग जांच जरूरी होती है। इस जांच से वायरस की प्रवृत्ति क्या है किस तरह दिखता है। इसकी जानकारी जीनोम सीक्वेसिंग से होती है। कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप की पहचान के लिए पाजिटिव सैंपलों का जीनोम सीक्वसिंग जांच किया जाता है।
वर्जन
कोविड वायरस लगातार खुद को बदल रहा है। ऐसे में किसी वायरस के बदलते स्वरूप की पहचान जीनोम सीक्वेसिंग से होती है। मेडिकल कालेज में लैब के लिए हमने प्रस्ताव भेजा है। इसमें उपकरण, लैब की व्यवस्था से संबंधित पूरा ब्योरा है। जल्द अनुमति मिलने की उम्मीद है।
- डॉ. निकिता शेरवानी, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, मेडिकल कॉलेज रायपुर