रायपुर। Mohalla Class: कोरोना के चलते स्कूल नहीं खुल पाए हैं। ऐसे में कक्षाएं मुहल्लों में लगाई जा रही हैं। इन कक्षाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों को सरकार प्रोत्साहित करेगी। लाकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए संचालित पढ़ई तुंहर द्वार कार्यक्रम के दूसरे वर्ष की शुरुआत के पूर्व समग्र शिक्षक द्वारा आयोजित वेबिनार में स्कूल शिक्षा मंत्री डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने शामिल होकर नवाचारी शिक्षकों से बच्चों की शिक्षा और शिक्षा पद्धति के संबंध में चर्चा की।
उन्होंने पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित रूप से नियमित कक्षा लेने वाले प्रत्येक जिले से 36-36 शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की। मंत्री डा. टेकाम ने कहा कि वेबिनार में नवाचारी शिक्षकों के माध्यम से बच्चों की नियमित पढ़ाई की समस्याओं का हल ढूंढ़ने का प्रयास किया गया।
वेबिनार में प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला, सचिव डा. कमलप्रीत, एनआईसी संचालक सोम शेखर, सहायक संचालक समग्र शिक्षा डा. एम. सुधीश, आशीष गौतम भी उपस्थित थे। वेबिनार का संचालन साक्षरता मिशन के सहायक संचालक प्रशांत कुमार पांडेय ने किया।
62 हजार से अधिक शिक्षकों से की चर्चा
कार्यक्रम में मंत्री व अफसरों ने बस्तर से लेकर सरगुजा तक के शिक्षकों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच के अनुसार 'मुहल्ला क्लास में जाके पढ़बो, तभे नवा छत्तीसगढ़ गढ़बो।' यह कार्य सभी नवाचारी शिक्षकों की सक्रियता से ही पूरा होगा। वेबिनार में 62 हजार से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया। स्कूल शिक्षा मंत्री ने 22 नवाचारी शिक्षकों के अनुभव सुनें।
स्कूल शिक्षा मंत्री डा. टेकाम ने कहा कि पढ़ई तुंहर द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत गत वर्ष राज्य के शिक्षकों ने नवाचार के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छा कार्य किया है। उन्होंने कहा कि लाकडाउन का यह दूसरा सत्र है और अभी हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि स्कूल कब खुलेंगे। ऐसी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर पिछले साल से भी बेहतर कार्य करना होगा। काम के तरीकों में बदलाव लाना पड़ेगा तभी हम अपने कार्य में सफल हो सकेंगे।
कोरोना ने सिखा दी तकनीक
मंत्री डा.टेकाम ने कहा कि कोरोना के पहले टेक्नोलाजी का उतना अधिक उपयोग लोग नहीं करते थे, लेकिन पिछले वर्ष बच्चे और बुजुर्ग भी नई-नई तकनीक सीखकर उसका उपयोग बड़ी आसानी से करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि पहले हम समुदाय से बच्चों की शिक्षा में सहयोग के लिए बहुत मेहनत करते थे। अब पालक एवं समुदाय स्वयं पहल कर बच्चों को सिखाने के लिए शिक्षा सारथी बन रहे हैं। पढ़ाई के लिए सीखने-सिखाने शिक्षकों को बहुत सारे प्रशिक्षण देना होता है। कोरोना से सबको स्वयं अपनी परिस्थितियों के अनुसार नए-नए तरीकों को खोजकर बेहतर और प्रभावी अध्यापन के लिए तैयार किया।
नवाचार से सुधर रही दिशा
स्कूल शिक्षा मंत्री डा. टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने बहुत नवाचार किए हैं। अब समय है कि इन नवाचारों को हम बच्चों की उपलब्धि में सुधार की दिशा में बदल सकें। नवाचारी शिक्षकों की मेहनत का प्रभाव देखने इस वर्ष की शुरुआत में ही बेसलाइन लेंगे और फिर बच्चों में आ रहे बदलाव पर लगातार नजर रखी जाएगी। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि बच्चों की पढ़ाई को रूचिकर बनाने के लिए विभिन्न विकल्पों को देखने और उनमें से अपनी परिस्थितियों के अनुरूप बेहतर विकल्प का उपयोग करने के लिए स्वेच्छा से आगे आएं। सभी को किसी न किसी विकल्प का उपयोग कर विद्यार्थियों को सिखाना आवश्यक होगा।
49 लाख बच्चों की हुई आनलाइन एंट्री
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डा. आलोक शुक्ला ने कहा कि गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष स्थिति बेहतर है। स्कूलों में बच्चों को प्रवेश आनलाइन के माध्यम से दिया गया है। प्रवेशित बच्चों के नाम स्कूलवार उपलब्ध है। अब तक 49 लाख बच्चों की आनलाइन एंट्री स्कूलवार दर्ज हो चुकी है। इससे स्कूलवार मानिटरिंग हो पाएगी। शिक्षक अब एक-एक बच्चे की पढ़ाई का आकलन कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि एससीईआरटी को निर्देशित किया गया है कि सभी विषयों के लिए आंकलन की प्रणाली विकसित करें।