रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कान, नाक, गला से संबंधित समस्याओं की बात करें, तो कान के पर्दे में पस भरना, इंफेक्शन, कान का पर्दा गलना, सुनाई कम देना, गले में ट्रांसिल, नाक में मस्से जैसी समस्याएं आम हैं। एम्स के ईएनटी की ओपीडी में ज्यादातर मरीज इन्हीं परेशानियों को लेकर आते हैं। बीमारियों को नजर अंदाज न कर प्राथमिक स्थिति में ही इलाज करा लें, तो गंभीर परेशानियों से जूझना नहीं पड़ता। हेलो डाक्टर कार्यक्रम के दौरान अतिथि के तौर पर मौजूद एम्स के डायरेक्टर और ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. नितिन एम नागरकर ने यह बात कहीं।
बुधवार को नईदुनिया कार्यालय में दोपहर 12 से एक बजे तक हेलो डाक्टर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस बीच डा. नागरकर ने फोन के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य परामर्श दिए। उन्होंने बताया कि एम्स में हर दिन की ओपीडी 1700 से 1800 की है। ईएनटी विभाग में हर दिन औसत 150 मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसमें मुंह और गले के कैंसर के मरीजों भी होते हैं। तंबाकू व गुड़ाखू के सेवन की वजह से राज्य में इस तरह के कैंसर के मरीजों की अधिकता देखी जाती है। तंबाकू, गुड़ाखू के साथ अन्य नशे के सेवन बचने की जरूरत है।
ब्लैक फंगस से सावधानी जरूरी
डा. नागरकर ने बताया कि पोस्ट कोविड के उन मरीजों को ब्लैक फंगस को लेकर सावधानी की जरूरत है, जिन्हें बीपी, शुगर की समस्या है क्योंकि ऐसे मरीजों में ही ब्लैक फंगस की शिकायत ज्यादा सामने आई है। पोस्ट कोविड के बाद किसी भी तरह की दिक्कत आए तो तुरंत जांच कराएं। डा. नागरकर ने बताया कि एम्स में ब्लैक फंगस के सर्वाधिक मरीजों की सफल इलाज हुआ है। अभी ब्लैक फंगस की शिकायतें पहले के तुलना में कम हुई है, लेकिन सावधानी जरूरी है।
हेलो डाक्टर कार्यक्रम में डा. नागरकर ने दिए लोगों को स्वास्थ्य परामर्श
सवाल- गले में लार नहीं बन रहा। काफी परेशानी हो रही है। - शकुंतला देवी, पुरानी बस्ती रायपुर
जवाब- जो दवा ले रहीं हैं वह लेतीं रहें। बीच-बीच में पानी भी पिएं। एक बार एम्स के ईएनटी विभाग में आकर दिखा सकते हैं।
सवाल - कान में आवाजें आती है। -भुवनेश त्रिपाठी, रायपुर
जवाब- इस तरह की समस्याएं किसी-किसी को होती है। जांच के बाद दवाओं से यह ठीक हो जाएगा। आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सवाल- मेरी उम्र 82 वर्ष है। सुनने में समस्या आ रही। -मेघमणी, गुढ़ियारी, रायपुर
जवाब- उम्र की इस पड़ाव में सुनने में दिक्कतें आती है। यदि संभव हो तो एम्स में जांच के लिए आइए। इलाज के साथ ही जरूरत पड़ी तो सुनने की मशीन भी उपलब्ध कराई जाएगी।
सवाल- खाना गले में धसा जैसा लगता है। -एके कुलश्रेष्ठ, दुर्ग
जवाब- लंबे समय से समस्या आ रही है तो टेस्ट कराना जरूरी है।
सवाल - तीसरी लहर में सर्दी, बुखार जैसे ही लक्षण होंगे या कुछ और भी। -सुरेंद्र बैरागी, भिलाई
जवाब- कोरोना संक्रमण में समय-समय पर कुछ बदलवा देखे गए हैं। लेकिन लक्षण लगभग समान ही है। बचाव के लिए भी मास्क, शारीरिक दूरी, सैनेटाइजेशन को नियमित दिनचर्चा में ही शामिल करें।
सवाल- नाक में मस्सा बना हुआ है। काफी परेशानी हो रही। -युगल किशोर, भानुप्रतापपुर
जवाब- यदि संभव हो तो एम्स में आकर इलाज करा सकते हैं। जांच के बाद जरूरत पड़ी तो आपरेशन भी करना पड़ सकता है।
सवाल- नहाने के बाद छिंके आती है। परेशानी अब बढ़ गई है। -चेतन कुमार, कवर्धा
जवाब- एंटी एलर्जी दवाओं से ठीक हो जाएगा। ज्यादा बड़ी समस्या नहीं है।
सवाल- कान में खुजली की समस्या है। - भोज कुमार साहू, बालोद
जवाब- एलर्जी के कारण इस तरह की समस्या आती है। दवाएं लें ठीक हो जाएगी।
सवाल - काफी दिनों से कान में दर्द रहता है दवाएं ली फिर भी राहत नहीं मिल रही। -अनिल चंद, रायपुर
जवाब - नहाते वक्त कान को पानी से बचाएं। एक बार ईएनटी विभाग में आकर जांच करा सकते हैं।
सवाल - नाक में सुगंध नहीं आ रही है। - धर्मेंद्र वर्मा, रायपुर
जवाब - सुगंध और गंध नहीं आने के कारण अलग-अलग होते हैं। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। सामान्य उपचार से ठीक हो जाएगा।
सवाल - कान भरा-भरा लगता है, डाक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी है। क्या इसके बाद इलाज संभव है? - संतोष कुमार, भाटापारा
जवाब - कान में मैल भरे होने या हड्डी गलने की वजह से इस तरह की समस्या आती है। कान के पर्दे की जांच के बाद ही सर्जरी करनी है या नहीं इस बता पाएंगे।
सवाल - सूखी खांसी की समस्या है? - निरमेश भोजवानी, चारामा
जवाब- एनर्जी की वजह से इस तरह की दिक्कतें देखी गई है। घबराने की जरूरत नहीं, आसपास किसी डाक्टर को दिखाएं।
सवाल - आवाज बंध गई है। क्या यह कोई बीमारी है।- काशी प्रसाद तिवारी, कांकेर
जवाब- अधिक बोलने की वजह से इस तरह की समस्या आती रहती है। गले में गाठ या मस्सा बन जाने के कारण इस तरह की समस्या उत्पन्न होती है।