रायपुर (राज्य ब्यूरो)। राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की कमी वर्षों से अभिभावकों को खल रही है। वैसे तो कागज पर शिक्षक-छात्र का अनुपात 1:21 है पर धरातल में शिक्षकों से खाली स्कूलों में नौनिहालों का भविष्य अंधकार में जाता दिख रहा है। शिक्षा के लोक व्यापीकरण के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पठन-पाठन नहीं हो पाने से निराश अभिभावकांे के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल आशाा की नई किरण की तरह है, लेकिन इन स्कूलों में महज दो से ढाई लाख बच्चों को ही पढ़ने का अवसर मिल पा रहा है। बाकी 90 प्रतिशत बच्चों के लिए पुराने ढर्रे पर चल रहे स्कूल ही सहारा है। 'स्कूल आ पढ़े बर, जिनगी ला गढ़े बर स्लोगन दीवारों और पोस्टर पर तो बेहतर लग रहा है पर धरातल पर शिक्षकों की कमी से इस स्लोगन का पोस्टर फट चुका है।
आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में शिक्षक:छात्र अनुपात संतोषजनक है, लेकिन वनांचलों में एकल शिक्षिकीय विद्यालय इस आंकड़े का मुंह चिढ़ा रहे हैं। करीब 40 हजार प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। इनमें 14 हजार 580 पदों पर अभी भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विश्ोषज्ञ मानते हैं कि सभी बच्चों को समान शिक्षा मिलनी चाहिए।
प्राइमरी में शिक्षक: छात्र अनुपात 1:25 और मिडिल स्कूल में यह 1:30 होना चाहिए। यानी 25 बच्चों पर एक शिक्षक अनिवार्य है। प्राइमरी स्कूल स्तर पर प्रधान पाठक, सहायक शिक्षक, शिक्षक के पद खाली हैं। इसी तरह मिडिल स्कूल स्तर पर प्रधान पाठक, शिक्षक, शिक्षक वर्ग के पद खाली हैं। हाई स्कूल स्तर पर प्राचार्य, व्याख्याता, सहायक शिक्षक विज्ञान के पद खाली हैं। हायर सेकेंडरी में प्राचार्य, उप प्राचार्य, व्याख्याता के पद खाली हैं।
प्रदेश के स्कूलाें में शिक्षकों के स्वीकृत हैं पद
पद स्वीकृत सेटअप
प्राचार्य 4,673
व्याख्याता 46,013
प्रधानपाठक मिडिल 12,449
शिक्षक मिडिल 55,096
शिक्षक वर्ग दो एसएसए 24,565
प्रधान पाठक प्राइमरी 31,363
सहायक शिक्षक 87,699
शिक्षक वर्ग तीन एसएसए 33,997
शिक्षक विज्ञान 8,927
कुल स्वीकृत 3,04,782
कुल रिक्त 39,454
क्या होगा इतने स्कूलों के नौनिहालों का ?
एक तरफ सरकारी आंकड़ों में प्रदेश में शिक्षक: छात्र का अनुपात संतोषजनक बताया जा रहा है तो दूसरी तरफ रायपुर समेत प्रदेश के वनांचल के स्कूलों में नौनिहालों का भविष्य खतरे में है। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षक ही पदस्थ हैं। रायपुर में 10, कवर्धा 109, कांकेर 347, कोंडागांव 373, कोरबा 352 , कोरिया 189, गरियाबंद 115, गौरेला पेंड्रा मरवाही 69, जशपुर 264, जांजगीर 33, दंतेवाड़ा 175, दुर्ग 24, धमतरी 43, नारायणपुर 171, बेमेतरा 22, बलरामपुर 257, बलौदा बाजार 69, बस्तर 680, बालोद 32, बिलासपुर 66, बीजापुर 165, महासमुंद 223, मुंगेली नौ, राजनांदगांव 54, रायगढ़ 183,सक्ती 23, सुकमा 315, सरगुजा 178 और सूरजपुर में 292 स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक ही शिक्षक पदस्थ हैं। इस तरह प्रदेश के 4,742 स्कूल एकल शिक्षकीय हैं।
नहीं मिल रहे हैं पर्याप्त शिक्षक
स्कूल शिक्षा विभाग को 14 हजार 580 शिक्षकों के पदों को भरना है। भर्ती की प्रक्रिया भी चल रही है लेकिन कुछ वर्गों से योग्य शिक्षक ही नहीं नहीं मिल रहे हैं। खासकर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग से व्याख्याता, शिक्षक और सहायक शिक्षक के दो हजार पदों के लिए अभी तक पात्र दावेदार नहीं मिले हैं। वहीं, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के सैकड़ों अभ्यर्थियों ने चयन के बाद भी नौकरी ज्वाइन नहीं की है। सरकार के सामने इस तरह की चुनौतियों से निपटना जरूरी है।
14 हजार 580 पदों पर अभी भर्ती बाकी
पदनाम कुल विज्ञापित पद कुल कार्यभार संख्या कुल रिक्त पद
व्याख्याता 3,177 2,666 511
शिक्षक 5,897 3,334 2,563
सहायक शिक्षक 5,506 2,608 2,898
कुल 14,580 8,608 5,972
(व्यापमं द्वारा 2019 में विज्ञापित कुल 14,580 पदों के लिए अब तक की गई प्रक्रिया)
शिक्षण का माहौल नहीं बनने से छोड़ देते हैं स्कूल
विश्ोषज्ञों का कहना कि स्कूल में जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो यहां शिक्षण का माहौल बनना मुश्किल हो जाएगा। जो शिक्षक हैं भी तो वह सरकारी कार्यालयों में संलग्न हैं। कुछ शिक्षक गैर शैक्षिक कामों में उलझे हुए हैं। कई स्कूल तो ऐसे भी हैं जहां लंबे समय से चपरासी, बाबू तक नहीं हैं। उनके भी काम शिक्षक कर रहे हैं। ऐसे में पढ़ाई प्रभावित होती है और बच्चे स्कूल छोड़ना शुरू कर देते हैं।
स्कूल छोड़ने वालों का दर
स्कूल स्तर बालक बालिका योग
प्राइमरी स्कूल 0.88 0.59 0.74
मिडिल स्कूल 4.79 3.27 4.03
हाई स्कूल 16.38 11.68 13.13
हायर सेकेंडरी स्कूल 11.18 8.10 9.64
शिक्षकों की कमी दूर करने का पूरा प्रयास
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने दशकों बाद प्रदेश में शिक्षकों की सीधी भर्ती की है। 14 हजार 580 शिक्षकों के पदों को भरने के लिए लगातार प्रयास चल रहा है। सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहिए। यह बात सही है कि कुछ इलाकों में शिक्षक नहीं मिल रहे हैं। हमें संविदा पर भी शिक्षकों की नियुक्ति करनी पड़ रही है। शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण पर भी हम आगे काम करेंगे। शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षक मुहैया कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
- डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम, स्कूल शिक्षा मंत्री, छत्तीसगढ़ शाासन
सरकार को नीति बदलनी होगी
हर शिक्षक सुविधा वाले स्कूल में नौकरी करना चाहते हैं। शहर में कई स्कूलों में ऐसी स्थिति भी देखने को मिल रही है कि गणित का शिक्षक भूगोल पढ़ा रहा है। सरकार को स्थ्ाानांतरण नीति बनानी चाहिए कि वनांचलों में दो साल कम से कम पढ़ाना अनिवार्य हो। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी वर्षों से मुद्दा रहा है। रिक्त पदों को कम करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की अर्हताओं को भी शिथिल करने की जरूरत है। गणित पढ़ाने के लिए इंजीनियरों को भी भरा जा सकता है।
- डा. जवाहर सूरसेट्टी, शिक्षाविद, छत्तीसगढ़