रायपुर। Naidunia Column Of The Record: 'छह साल की छोकरी, भरकर लाई टोकरी। टोकरी में आम है, नहीं बताती दाम है।' यह कविता पहली कक्षा के बच्चे वर्ष 2006 से पढ़ रहे हैं, लेकिन राजधानी में इन दिनों इसे लेकर विवाद चल रहा है। कविता का शीर्षक है 'आम की टोकरी'।
छत्तीसगढ़ निजी स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) से इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। तर्क दिया है कि यह कविता प्रथमदृष्टया न तो उत्कृष्ट है, न ही कोई शिक्षा दे रही है।
यह बाल श्रम को अच्छा दिखाने का एक प्रयास है, जो सर्वथा अनुचित है। यह कविता संदेश देने के बजाय बच्चों के अवचेतन मन में बाल श्रम का बोध कराती दिख रही है। विद्वानों और अभिवावकों के मुताबिक यह कविता कहीं से भी प्रेरक नहीं है। कविता से बच्चों के कोमल मन में संवेदना जागृत होनी चाहिए। प्रेरणादायी शिक्षा मिलनी चाहिए।
नियमों को तोड़कर देंगे संविदा
जिस संयुक्त संचालक के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले हैं। जिस अफसर के खिलाफ अकूत संपत्ति रखने की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो में हो चुकी है। उस अफसर को अब लोक शिक्षण संचालनालय में संविदा नियुक्ति देने में कुछ अफसर लगे हैं। हालांकि वित्त विभाग और सामान्य प्रशासन के नियम के कारण उन्हें अब समग्र शिक्षा अभियान में नियुक्ति देने की चर्चा है, जहां पहले से संजीव श्रीवास्तव संयुक्त संचालक हैं।
नियम के अनुसार संविदा में वित्त विभाग का प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन एक गुट का प्रयास जारी है, जबकि समग्र शिक्षा भारत सरकार का अभियान है और उसके मुखिया मुख्य सचिव हैं जो कई विभाग के सचिवों की कमेटी से संचालित है। गौरतलब है कि इस अधिकारी को संविदा दिलाने के लिए कई अधिकारी जुटे हुए हैं। यही वजह है कि अधिकारियों की करतूत से कई बार विभागीय मंत्री बदनाम हो चुके हैं।
कलेक्टर का डर न डंडे का
पिछले कई वर्षों से रायपुर में कलेक्टर के डंडे की हनक कमजोर होती जा रही है। ताजा मामला राइस मिलर्स को लेकर है। दरअसल, पिछले दिनों जिले में समर्थन मूल्य पर धान के उठाव की धीमी गति से नाराज कलेक्टर ने जिले के 100 अरवा और 14 उसना मिलर्स को नोटिस देकर 25 मई 2021 तक जवाब देने को कहा था। ऐसे में अब एक दिन का ही समय बचा है और आधे मिलर्स ने अब तक जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।
अधिकारियों का कहना है कि जिन मिलर्स ने जवाब नहीं दिया है, समीक्षा के बाद उन्हें ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा। इधर, चर्चा है कि इन मिलर्स ने अब राजनीतिक सफेदपोशों की शरण ले ली है। इतना ही नहीं, मामले को सुलझाने का दबाव भी बना रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर मिलर्स प्रशासन के हाथ से निकलते दिख रहे हैं।
घोटाले पर कार्रवाई से कांप रहे हाथ
आरटीई के तहत लाखों रुपये के गड़बड़झाले के मामले में सीधी कार्रवाई के बजाय लेटलतीफी का फार्मूला अपनाया जा रहा है। चर्चा है कि रायपुर में पूर्व डीईओ के कार्यकाल में हुए 76 लाख के घोटाले की रकम ऊपर बैठे कुछ अफसरों तक भी पहुंची है। अब अफसरों को डर सता रहा है कि यदि कार्रवाई हुई तो उनके भी नाम सामने आ सकते हैं।
वहीं विभागीय मंत्री के खिलाफ उनके विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले विपक्षी नेताओं ने इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली है। जिन खातों में यह राशि भेजी गई थी, उनकी भी संलिप्तता की चर्चा है। इनमें सृष्टि पब्लिक स्कूल के नाम पर उपेंद्र चंद्राकर को 21.38 लाख व सरस्वती शिशु मंदिर बेलदारसिवनी के नाम पर चंद्रिका अनंत को 9.80 लाख रुपये जारी हुई। बाकी खातेदारों में बृजेश कुमार पटेल, चंद्रकिशोर देवांगन, नीलेश्वर के नाम शामिल हैं।