रायपुर। Naidunia Column Of The Record: रेमडेसिविर दवा के नाम पर ऐसा भ्रमजाल फैलाया गया, जैसे यह कोरोना से छुटकारा पाने का अमृत हो। इसी का फायदा उठा रहे हैं प्रशासन में बैठे कुछ बड़े अफसर। कोरोना के इलाज के लिए कुछ हद तक रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल हो रहा है, पर इसके कई विकल्प भी मौजूद हैं। इसके बाद भी इस दवा के वितरण में एक विभाग के बड़े अधिकारी अपना हाथ काला-पीला कर रहे हैं।
चर्चा है कि देवेंद्र नगर, मोवा, न्यू राजेंद्र नगर और रायपुरा के रसूखदार बड़े अस्पतालों में भरपूर रेमडेसिविर इंजेक्शन भेजा रहा है। वहीं, इन अस्पतालों के ही मरीजों को पर्ची लेकर भटकना पड़ रहा है। बाद में इन मरीजों के स्वजनों से 10 से 15 हजार रुपये अधिक वसूल कर इंजेक्शन दिया जा रहा है। रायपुर कलेक्टर ने स्वास्थ्य, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों को इसके वितरण की जिम्मेदारी दे रखी है।
पौधों को सता रहा कोरोना का डर
वैसे तो अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण का असर केवल मानव पर दिख रहा है, पर छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में कुछ अजब-गजब निर्णय लिए जा रहे हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की बगिया इन दिनों इसी निर्णय के कारण सूख रही है।
गर्मी के समय में जब परिषद में लगे बाग में बागवान की जरूरत है, वैसे समय पर यहां के अधिकारियों ने कोरोना के कारण न केवल कार्यालय को पूरी तरह से बंद करा दिया, बल्कि पेड़-पौधों की देखभाल करने वाले माली को भी आने से मना कर दिया है। चर्चा है कि अब यहां पेड़-पौधे सूखने लगे हैं। बता दें कि परिषद में एक-एक करके ज्यादातर लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हो चुके हैं। इसके बाद लाकडाउन लग गया और अब तो माली को भी परिसर में प्रवेश नहीं मिल रहा है। क्या होगा पौधों का?
काम करके दिखाया तो मिल गया प्रभार
स्कूल शिक्षा की कमान संभाल रहे प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने पखवाड़े भर पहले ही कोरोना मरीजों के लिए काम करना शुरू कर दिया था। बेधड़क कोविड केयर सेंटरों का दौरा कर रहे थे। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जो करना था, वह आलोक शुक्ला ही करने लगे। अधिकारियों की बैठक लेकर कोरोना को कम करने के लिए जागरूकता फैलाने का कार्यक्रम हो या फिर जनसहायता डाट काम के जरिए इंटरनेट मीडिया पर लोगों को कोरोना के लक्षण या दवाई आदि पर वेबिनार करने का मामला हो।
इन सब बातों के कारण वे शुमार हो गए। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव रेणु पिल्ले के अवकाश पर जाने से उन्हें स्वास्थ्य विभाग की भी जिम्मेदारी दे दी। कुछ अफसर ऐसे हैं कि उनके पास काम नहीं है और डाक्टर शुक्ला के पास काम ज्यादा हो गया है।
टीका कम आया तो अंत्योदय का बहाना
ये बात अंदरखाने से आ रही सूबे के मुखिया की बैठक को लेकर है। बोलने वाले स्वयं मुख्यमंत्री और सुनने वाले जिलों के जिलाधीश। मुद्दा था 18 साल या इससे ऊपर वालों के टीकाकरण का। समस्या सामने थी कि सबके टीकाकरण का काम कैसे शुरू किया जाए? टीके केंद्र से आने हैं और वह भी जनसंख्या के हिसाब से बेहद कम।
ऐसे में राज्यों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे ही लोगों का टीकाकरण कराएं। ऊंट के मुंह में जीरा होगा तो समस्या होगी ही। ऐसे में एक अफसर ने सुझाया कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। फरमान जारी हो गया कि पहले अंत्योदय वालों को टीका लगाएंगे। इधर मौका परस्त विपक्षियों ने भी स्वर बुलंद करना शुरू कर दिया और कह दिया अंत्योदय का तो केवल बहाना बना रही है सरकार।