रायपुर। Nandkumar Sai News: छत्तीसगढ़ में इसी वर्ष के अंत में यानि अक्टूबर-नवंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले भाजपा को बड़ा झटका लगा है। आदिवासी नेता नंदकुमार साय कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए पार्टी के नेता उनके खिलाफ लगातार षड़यंत्र कर रहे थे। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को भेजे इस्तीफे में साय ने पार्टी के नेताओं पर छवि धूमिल करने का आरोप भी लगाया है। ऐसे में आइये जानते हैं आखिर कौन है नंदकुमार साय। कैसे उन्होंने विधायक से लेकर सांसद बनने का सफर तय किया।
जशपुर के किसान परिवार में हुआ था जन्म
दरअसल, नंदकुमार साय का जन्म छत्तीसगढ़ (तत्कालीन मध्य प्रदेश) के जशपुर जिले के छोटे से गांव भगोरा में हुआ था। उनके पिता का नाम लिखन साय और माता का नाम रूपानी देवी था। किसान परिवार में जन्मे नंदकुमार साय ने एनईएस कालेज से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की थी।
नायब तहसीलदार की नौकरी को ठुकराकर राजनीति में रखा कदम
नंदकुमार साय ने सरकारी नौकरी पाने के लिए भी तैयारी की थी और वो 1973 में नायब तहसीलदार के पद के लिए उनका चयन भी हो गया था। लेकिन साय ने इस सरकारी नौकरी को ठुकराकर राजनीति में कदम रखा।
वरिष्ठ आदिवासी नेता के तौर पर बनी पहचान
77 वर्षीय नंदकुमार साय की गिनती छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता के रूप में होती है। साय करीब चार दशक से अधिक समय तक भाजपा से जुड़े रहे। भाजपा के एक प्रमुख आदिवासी नेता और उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। इसके बाद 1980 में भाजपा की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए। साय 1985 में दोबारा तपकरा विधानसभा सीट से भाजपा विधायक चुने गए।
ऐसा रहा साय का राजनीतिक सफर
आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले साय को पार्टी ने 1989 में रायगढ़ से लोकसभा का टिकट दिया। जिस पर उन्होंंने शानदार जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद साय रायगढ़ और सरगुजा सीट से 1996 और 2004 में फिर से भाजपा सांसद चुने गए। इसके बाद 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। साय 2003-05 तक छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश बीजेपी प्रमुख रहे।
नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय पार्टी ने नंदकुमार साय को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी थी। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद साय को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) का अध्यक्ष भी बनाया गया था।