आयुर्वेदिक दवाओं की पैकेजिंग और प्रोसेसिंग में सुधार के साथ शोध की आवश्यकता
00 नारायण प्रसाद अवस्थी आयुर्वेद महाविद्यालय में रसशास्त्र और भैषज्य कल्पना पर हुई कार्यशाला 00 विशेषज्ञों ने चौथे दिन शोध कार्य पर दिया जोर, कहा- दवाइयों की पैकेजिंग और प्रोसेसिंग में भी हो शोध रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि जो दिखता है वह बिकता है। इस संकल्पना को यदि आधार माना जाए तो आयुर्वेद भी एलोपैथिक की तरह आगे बढ़ सकता है। उसकी
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Publish Date: Fri, 20 Jul 2018 08:03:14 AM (IST)
Updated Date: Fri, 20 Jul 2018 08:03:14 AM (IST)

00 नारायण प्रसाद अवस्थी आयुर्वेद महाविद्यालय में रसशास्त्र और भैषज्य कल्पना पर हुई कार्यशाला
00 विशेषज्ञों ने चौथे दिन शोध कार्य पर दिया जोर, कहा- दवाइयों की पैकेजिंग और प्रोसेसिंग में भी हो शोध
रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
जो दिखता है वह बिकता है। इस संकल्पना को यदि आधार माना जाए तो आयुर्वेद भी एलोपैथिक की तरह आगे बढ़ सकता है। उसकी पैकेजिंग और प्रोसेसिंग में भी शोध की आवश्यकता है।
यह ऐसी पद्घति है, जिसमें मनुष्य की आयु और वेदों के आधार पर इलाज होता है। इसे जन मानस जानता तो है, पर उसे उपयोग नहीं कर रहा है। इस तरह के विचार नारायण प्रसाद अवस्थी आयुर्वेदिक महाविद्यालय में विशेषज्ञों ने विचार रखे। उन्होनें कहा कि शल्य चिकित्सा तो आयुर्वेद में भी है, लेकिन कोई इसे जानता नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह है ब्रांडिंग, प्रचार-प्रसार। देश की सबसे प्राचीनतम पद्धति आयुर्वेद जिसमें निरंतर शोध हो रहे हैं, लेकिन उसको बढ़ावा देने के लिए प्रयास कम हो रहे हैं। इस पर भी शोध की आवश्यकता है। कार्यशाला में विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. एसआर इंचुलकर ने बताया कि ड्रग अधिनियम पर चर्चा की। इसमें बताया कि औषधियों के निर्माण के लिए आधुनिक उपकरण की आवश्यकता इस एक्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेखित की गई है।
तत्कालिक उपचार पर भी शोध की आवश्यकता
बातौर वक्ता डॉ पी एच खापर्डे ने शतवारी कल्प, वटी निर्माण, पाक कल्पना पर चर्चा की। उन्होनें इस पर भी जोर देते हुए कहा कि तत्कालिक उपचार पर शोध की आवश्यकता है। इससे किसी भी प्रकार की बीमारी का इलाज लंबी अवधि के बजाय, कम समय में ठीक करने पर शोध किया जाए।