रायपुर/जगदलपुर। Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की दूसरी और एनएमडीसी की देश में पहली स्लरी पाइप लाइन परियोजना की सारी बाधाएं खत्म हो गई हैं। परियोजना पर पिछले छह साल से काम चल रहा था, लेकिन वन और पर्यावरण, रेलवे, जल संसाधन विभाग से क्लीयरेंस देरी से मिलने के कारण मामला अटका पड़ा था।
पिछले दिनों एक-एक करके सभी आवश्यक क्लीयरेंस मिलने के बाद केंद्र सरकार ने भी 28 दिसंबर 2020 को पाइप बिछाने की अनुमति जारी कर दी गई। चेन्न्ई की कंपनी को पाइप लाइन बिछाने का ठेका मिला है। कंपनी जुलाई में पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू करेगी।
करीब तीन हजार करोड़ रुपये की यह परियोजना दो साल में बनकर तैयार होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नौ मई 2015 को दंतेवाड़ा में आयोजित जनसभा में इस परियोजना के लिए एनएमडीसी और छग सरकार के बीच एमओयू किया गया था। 20 साल पहले एस्सार कंपनी द्वारा किरंदुल से विशाखापट्टनम तक लौह अयस्क परिवहन के लिए स्लरी पाइप लाइन परियोजना पर काम शुरू किया था। जिसे बनने में कई साल लग गए थे।
तीन चरणों की है पूरी परियोजना
एनएमडीसी की स्लरी पाइप लाइन परियोजना मूल रूप से तीन चरणों में पूरी होगी। किरंदुल से विशाखापट्टनम तक 451 किमी लंबी स्लरी पाइप लाइन परियोजना के पहले चरण में तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से दंतेवाड़ा के बचेली से नगरनार तक 130 किमी, दूसरे चरण में बचेली से किरंदुल तक आठ किमी और तीसरे चरण में नगरनार से विशाखापट्टनम तक 313 किमी की पाइप लाइन बिछाने की योजना है।
अभी पहले चरण का काम शुरू किया जा रहा है। परियोजना की कुल क्षमता 15 मिलियन टन लौह अयस्क परिवहन की है लेकिन पहले चरण का काम पूरा होने के बाद दो मिलियन टन लौह अयस्क को पानी के साथ घोल के रूप में नगरनार तक परिवहन किया जाएगा।
स्लरी पाइप लाइन परियोजना क्षेत्रीय कार्यालय जगदलपुर के महाप्रबंधक आर अजीत के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा स्लरी पाइप लाइन परियोजना के लिए अंतिम गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। जुलाई में पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू होगा।