रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। Irregularity In Ambulance Operations: रायपुर की सड़कों पर बिना मानक की एंबुलेंस दौड़ रही हैं। परिवहन मुख्यालय ने एंबुलेंस की जांच का आदेश दिया था। परिवहन विभाग ने मिलकर शुक्रवार को जिले भर की एंबुलेंस की जांच के लिए पुलिस परेड ग्राउंड में बुलाया गया था। इसमें सिर्फ नाम मात्र की 89 एंबुलेंस ही जांच कराने पहुंची, जिसमें 48 गाड़ियों में जहां जीपीएस नहीं लगा था, तो वहीं 38 गाड़ियों का फिटनेस रद तथा पांच गाड़ियों का बीमा समाप्त हो गया है। परिवहन विभाग द्वारा जांच कराने के लिए न आने वाले एंबुलेंस संचालकों को नोटिस जारी कर चलानी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
ज्ञात हो कि रायपुर जिले में कुल प्राइवेट और सरकारी अस्पताल मिलाकर कुल एक हजार के करीब एंबुलेंस परिवहन कार्यालय में पंजीकृत हैं। इसमें राजधानी के कई सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में एंबुलेंस के तौर पर मारुति वैन, बोलरो आदि वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है। शहर में इन्हीं बेसिक ट्रांसपोर्ट एंबुलेंस की संख्या सबसे ज्यादा है। गौर करने वाली बात यह है कि इन एंबुलेंस की कोई चेकिंग भी नहीं होती है।
इसकी शिकायत परिवहन मुख्यालय में हुई थी। उसके बाद मुख्यालय ने एंबुलेंस की जांच के आदेश जारी किया था। शुक्रवार को परिवहन, यातायात और स्वास्थ्य विभाग की टीम पुलिस परेड ग्राउंड में सुबह दस बजे से मौजूद थी लेकिन सिर्फ 89 गाड़ियां ही जांच कराने पहुंची थी।
चौक- चौराहों पर खड़ी मिल जाएंगी एंबुलेंस
राजधानी के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों के बाहर इस तरह की दर्जनों एंबुलेंस मिल जाएंगी, जो बिना मानक के संचालित हो रही हैं। एंबुलेंस चालक मनमाना किराया वसूल करते हैं, लेकिन इन पर न तो कभी कोई जांच होती है और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई होती है। इसलिए प्रदेश में परिवहन विभाग ने एंबुलेंस को चार अलग-अलग कैटेगरी में बांटा है। इसी अनुरूप शुक्रवार को पुलिस परेड ग्राउंड में एंबुलेंस की जांच की गई।
एंबुलेंस की इस कटेगरी में की गई जांच
टाइप ए (मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर) इस एंबुलेंस में केवल आपतकालीन प्राथमिक उपचार प्रदान करने की सुविधा उपलब्ध रहती है। इस वाहन के भीतर किसी भी प्रकार की चिकित्सा संबंधी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं रहती है।
टाइप बी (पेसेंट ट्रांसपोर्ट व्हीकल)
इस एंबुलेंस में किसी भी प्रकार की आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध नहीं रहती हैं अर्थात आपातकालीन मरीजों को छाेडकर केवल सामान्य मरीजों के परिवहन के लिए इस एंबुलेंस का उपयोग किया जाना है।
टाइप सी (बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस)
यह उपयुक्त रूप से सुसज्जित और उचित रूप से तैयार किया गया एक वेंटिलेटर रहित प्राथमिक चिकित्सा से सुविधा युक्त सामान्य एंबुलेंस है, जिसमें मरीजों के प्राथमिक उपचार सहित परिवहन के लिए उपयोग में लाई जाने वाली एंबुलेंस है।
टाइप डी (एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस)
यह उपयुक्त रूप से सुसज्जित और उचित रूप से तैयार किए गए एक वेंटिलेटर सहित एडवांस एंबुलेंस है, जिसमें गहन निगरानी की आवश्यकता वाले मरीजों के परिवहन एवं उपचार के लिए एर्गोनामिक रूप से डिजाइन की गई सर्वसुविधा युक्त एंबुलेंस है।
एंबुलेंस के लिए नियम
- एंबुलेंस वाहन निजी नाम से पंजीकृत नहीं हो सकता है।
- उसे किसी संस्था, निजी अथवा सरकारी अस्पताल के नाम व पते से ही लिया जा सकता है।
- एंबुलेंस के नाम रजिस्ट्रेशन कराने से टैक्स में छूट मिलती है।
- वन टाइम टैक्स की व्यवस्था है।
- एंबुलेंस की फिटनेस आवश्यक है, जिससे किसी प्रकार का हादसा न हो।
वर्जन
जिले भर की एंबुलेंस को पुलिस परेड ग्राउंड में जांच के लिए बुलाया गया था। लेकिन सिर्फ 89 गाड़ियां ही मैदान में पहुंची थीं, बाकी गाड़ियां नहीं आई हैं। जांच में शामिल ना होने वाली एंबुलेंस के खिलाफ चलानी कार्रवाई की जाएगी।
- शैलाभ साहू, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी रायपुर