रायपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना महामारी ने हमें मजबूर कर दिया है कि हम चाक-डस्टर से ई-क्लास की ओर शिफ्ट हों। ऑनलाइन क्लास, वीडियो लेक्चर शिक्षा के क्षेत्र में धीरे-धीरे पैर जमा रहा था, लेकिन कोरोना के कारण तेजी से स्थान बना लिया। यह कहना है कि हमेचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के छात्र अधिष्ठाता डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव का।
बता दें कि विप्र कॉलेज की ओर से ई-क्लास पर तीन दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया है। इसके शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि परंपरागत कक्षा शिक्षण का स्थान ई-क्लास नहीं ले सकती, पर ई-क्लास उसका पूरक और सहयोगी हो सकती है। महमारी के समाप्ति के बाद भी इसकी आवश्यकता पड़ेगी। तेज गर्मी, बारिश के दिनों में ई-क्लास जारी रखी जा सकती है। परंपरागत कक्षा शिक्षण और ई-क्लास एक दूसरे के पूरक बनकर उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ा सकते हैं।
ग्रुप रिसर्च एवं टेक्नोलॉजी विषय के जानकार डॉ. सीमांत सिंह राजपूत ने कहा कि पांच हजार किमी दूर होकर भी हम एक साथ ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं। उन्होंने डिजिटल फ्रेमवर्क के बारे में भी जानकारी दी। जबलपुर से प्लासी गुप्ता ने डिजिटल रिसोर्स विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस अवसर पर बीआइटी के मो. ख्वाजा मोहिद्दीन, पूर्व प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी, डॉ. ज्योति पाटील और डॉ. प्रज्ञेश अग्रवाल ने व्याख्यान दिया। इस दौरान मोहित श्रीवास्तव, कंचन मिश्रा समेत बड़ी संख्या में प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।