रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। Patients Are at Risk In Chhattisgarh: प्रदेश में चलने वाली अधिकतर एंबुलेंस में न तो चिकित्सा संबंधी जरूरी उपकरण हैं और न ही सुरक्षा के ही। नीली बत्ती और हूटर लगाकर फर्राटा भर रहे इन वाहनों में मरीज की जान को खतरा है। एंबुलेंस संचालकों द्वारा मानकों को दरकिनार कर एंबुलेंस का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। एंबुलेंस संचालकों द्वारा किराया भी मनमानी वसूल किया जा रहा है। प्रदेश में संचालित हो रहीं ऐसी एंबुलेंस पर लगाम लगाने की कवायद शुरू हो गई है। परिवहन मुख्यालय ने प्रदेश भर में पुलिस, परिवहन और स्वास्थ्य विभाग को एंबुलेंस की जांच कर 22 जुलाई, 2021 तक जांच कर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश जारी किया है।
परिवहन विभाग का कहना है कि तीनों विभागों की संयुक्त टीम बनाकर जल्द ही जांच शुरू की जाएगी। ज्ञात हो कि प्रदेश भर में कुल प्राइवेट और सरकारी कार्यालय मिलाकर पांच हजार के करीब एंबुलेंस परिवहन कार्यालय में पंजीकृत हैं। इसमें राजधानी के कई सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में एंबुलेंस के तौर पर मारुति वैन, बोलरो आदि वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है। शहर में इन्हीं बेसिक ट्रांसपोर्ट एंबुलेंस की संख्या सबसे ज्यादा है। गौर करने वाली बात यह है कि इन एंबुलेंस की कोई चेकिंग भी नहीं होती है।
राजधानी के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों के बाहर इस तरह की दर्जनों एंबुलेंस मिल जाएंगी, जो बिना मानक के संचालित हो रही हैं, एंबुलेंस चालक मनमाना किराया वसूल करते हैं, लेकिन इन पर न तो कभी कोई जांच होती है और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई होती है, इसलिए प्रदेश में परिवहन विभाग ने एंबुलेंस को चार अलग-अलग कैटेगरी में बांटा है।
प्रदेश में एंबुलेंस का यह है मानक
कोरोना संक्रमण के दौरान विभिन्ना एंबुलेंस द्वारा मरीजों को उनके निवास स्थान से अस्पताल या अस्पताल से निवास स्थान पर लाने के लिए उपयोग किया जा रहा था, जिसमें विभाग एंबुलेंस का मानक एआइएस 125 (आटो मोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड -125) का पालन नहीं कर रहा है, जबकि एआइएस 125 के अनुसार एंबुलेंस को चार भागों में एबीसीडी विभाजित करते हुए वेंटिलेटर रहित एवं वेंटिलेटर सहित वर्गीकृत किया गया है।
एंबुलेंस की यह है कैटेगरी
ए कैटेगरी (मेडिकल फस्ट रिस्पांडर) इस एंबुलेंस में केवल आपतकालीन प्राथमिक उपचार प्रदान करने की सुविधा उपलब्ध रहती है। इस वाहन के भीतर किसी भी प्रकार की चिकित्सा संबंधी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं रहती है।
टाइप बी (पेसेंट ट्रांसपोर्ट व्हीकल)
इस एंबुलेंस में किसी भी प्रकार की आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध नहीं रहती हैं अर्थात आपातकालीन मरीजों को छाेडकर केवल सामान्य मरीजों के परिवहन के लिए इस एंबुलेंस का उपयोग किया जाना है।
टाइप सी (बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस)
यह उपयुक्त रूप से सुसज्जित और उचित रूप से तैयार किया गया एक वेंटिलेटर रहित प्राथमिक चिकित्सा से सुविधा युक्त समान्य एंबुलेंस है, जिसमें मरीजों के प्राथमिक उपचार सहित परिवहन के लिए उपयोग में लाई जाने वाली एंबुलेंस है।
टाइप डी (एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस)
यह उपयुक्त रूप से सुसज्जित और उचित रूप से तैयार किए गए एक वेंटिलेटर सहित एडवांस एंबुलेंस है, जिसमें गहन निगरानी की आवश्यकता वाले मरीजों के परिवहन एवं उपचार के लिए एर्गोनामिक रूप से डिजाइन की गई सर्वसुविधा युक्त एंबुलेंस है।
एंबुलेंस के लिए नियम
छत्तीसगढ़ के अपर परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा ने कहा कि प्रदेश में एंबुलेंस वाहन मानक के अनुरूप नहीं चल रहे हैं। एंबुलेंस की जांच कर रिपोर्ट परिवहन मुख्यालय में जमा करने का आदेश जारी किया गया है। मानक के अनरूप न चलने वाली एंबुलेंस के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।