बिलासपुर। लंबे समय से रीढ़ (स्पाइन) के दर्द से परेशान हो रहे मरीजों के लिए अब मिनिमली इनवेसिव माइक्रोस्कोपिक तकनीक से सर्जरी होगा। इसके तहत महज 15 मिनट की सर्जरी के बाद मरीज दो से तीन घंटे में चलने-फिरने लगेगा। यह सर्जरी अब अपोलो हॉस्पिटल में संभव हो गया है।
अब तक 70 मरीजों की सफल सर्जरी की गई है। सोमवार की दोपहर अपोलो हॉस्पिटल में आयोजित प्रेसवार्ता में वरिष्ठ स्पाइन सर्जन डॉ.आशीष जायसवाल ने जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि गर्दन या पीठ दर्द के मरीज जिन्हें हाथ व पांव में भी दर्द होता है, ऐसे मरीजों को अप्रमाणित इलाज के तरीकों को अपनाने के बजाय किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह अवश्य लेनी चाहिए, क्योंकि लगभग 80 प्रतिशत मामलों में बिना किसी सर्जरी के इस तरह की तकलीफ को दवा से ठीक किया जा सकता है।
सिर्फ 10 प्रतिशत मामलों में सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। वहीं अब रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन की पुरानी तकनीक के स्थान पर नई अत्याधुनिक माइक्रोस्कोपिक सर्जरी में मरीजों को तुरंत आराम मिलना शुरू हो जाता है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है।
माइक्रोस्कोपिक सर्जरी में एक छोटे से चीरे द्वारा दबी हुई नस को निकाला जाता है। वहीं मरीज को शीघ्र ही दर्द से आराम मिल जाता है। इसे मिनिमली इनवेसिव माइक्रोस्कोपिक तकनीक कहा जाता है।
डॉ.जायसवाल ने इस तकनीक के फायदे बताते हुए कहा कि इसमें मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। इसे हम डे केयर सर्जरी भी कहते हैं। इससे मरीज को रक्त चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती। मरीज को उसी दिन घर वापस भेज दिया जाता है और मरीज जल्द ही अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट जाता है।
60 से 70 हजार खर्च
वैसे तो आवश्यक दवाओं से दर्द को ठीक कर दिया जाता है। लेकिन, विषम मामलों में सर्जरी की आवश्यकता है। इस सर्जरी का खर्च 60 से 70 हजार स्र्पए तक निर्धारित किया गया है। बिना भर्ती हुए ऑपरेशन के तुरंत बाद राहत मिलना शुरू हो जाता है।
सर्जरी में महारत
वरिष्ठ स्पाइन सर्जन डॉ.जायसवाल ही क्षेत्र के ऐसे स्पाइन सर्जन हैं, जिन्हें नवीनतम तकनीक से सर्जरी करने की महारत हासिल है। उन्होंने देश के सर्वोच्च स्पाइन सेंटर गंगा हॉस्पिटल कोयम्बटूर और सिंगापुर में इस विधा का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है।