रायपुर। Health News: एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग में प्रतिमाह लगभग 300 रोगी डायलिसिस के लिए पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यदि किडनी संबंधी रोगों को समय रहते चिह्नित कर उपचार शुरू हो जाए तो सामान्य जीवन संभव है। एम्स के चिकित्सकों की मदद से पेरीटोनियल डायलिसिस से कई किडनी रोगी सामान्य जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे ही कई रोगियों ने बुधवार को आयोजित कार्यशाला में अपने अनुभव साझा किए।
कोरबा की महिला रोगी ने बताया कि पेरीटोनियल डायलिसिस की मदद से वह काफी स्वस्थ महसूस कर रही हैंं और नियमित दिनचर्या में भी कोई दिक्कत नहीं आ रही है। रायपुर और सुपेबेड़ा के रोगियों ने भी पेरीटोनियल डायलिसिस की मदद से सामान्य जीवन यापन का अनुभव साझा किया। इस अवसर पर देश के सुप्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट डा. विवेकानंद झा ने कहा कि चिकित्सकों को अपने ज्ञान की मदद रोगियों की कठिनाइयों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने किडनी संबंधी सभी रोगों का संयुक्त इलाज करने पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए टीमवर्क की जरूरत होती है, जिसमें नर्सिंग स्टाफ, डायटिशियन, टेक्नीशियन सभी का योगदान होता है। एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम नागरकर ने कहा कि किडनी संबंधी रोगों का सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। दवाइयों की मदद से यह रोगी सामान्य जीवनयापन कर सकते हैं।
इसके लिए समय पर स्क्रिनिंग और उपचार आवश्यक है। मौके पर राज्य स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के संचालक नीरज बंसोड़ कहा कि गंभीर रोगियों को उपचार के लिए हर संभव मदद प्रदान की जा रही है। इस मौके पर डॉ. विनय राठौर, डॉ. अभिरूचि गलहोत्रा, डॉ. श्रीकांत राजिमवाले, डॉ. सौरभ नायक और डॉ. कमलेश जैन मौजूद रहे।