नई दुनिया, प्रतिनिधि, रायपुरः छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव में शामिल होने शनिवार को रायपुर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रसिद्ध लोक कलाकार और पद्म विभूषण से सम्मानित तीजन बाई से फोन पर बात कर स्वास्थ्य की जानकारी ली। प्रधानमंत्री ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
विनोद कुमार शुक्ल की कहानियों पर बन चुकी हैं फिल्में
प्रख्यात साहित्यकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल की कृतियां हैं, जिनमें ‘लगभग जयहिन्द’, ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’, ‘अतिरिक्त नहीं’, ‘कविता से लम्बी कविता’, ‘नौकर की क़मीज़’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (उपन्यास) शामिल हैं।
मणि कौल ने 1999 में विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास 'नौकर की कमीज़' पर इसी नाम से एक फिल्म बनाई थी। ‘आदमी की औरत’ और ‘पेड़ पर कमरा’ सहित कुछ कहानियों पर अमित दत्ता के निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘आदमी की औरत’ को 2009 में हुए वेनिस फ़िल्म महोत्सव के 66वें में स्पेशल इवेंट पुरस्कार मिला था।
तीजन बाईः महिलाओं के लिए राह बनाने वाली पहली पंडवानी गायिका
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन अटारी गांव में जन्मी तीजन बाई बचपन से ही पंडवानी कला की ओर आकर्षित थीं। अपने नाना से पांडवों की कथा सुनकर उन्होंने पंडवानी को अपना जीवन बना लिया।
पंडवानी कला परंपरागत रूप से पुरुषों तक सीमित थी, लेकिन तीजन बाई ने कापालिक शैली में मंच पर खड़े होकर गायन व अभिनय का साहस दिखाया। इसके साथ ही उन्होंने इस लोककला को नई ऊर्जा और नाटकीयता दी। तीजन बाई जैसी विभूतियां भारतीय संस्कृति की जीवंत आत्मा हैं।
इंदिरा गांधी भी थीं प्रशंसक
तीजन बाई की प्रतिभा से प्रभावित होकर नाट्य निर्देशक हबीब तनवीर ने उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने प्रस्तुति का अवसर दिलवाया। प्रस्तुति के बाद इंदिरा गांधी ने कहा था, आप बहुत अच्छा महाभारत करती हैं, इस पर तीजन बाई ने बहुत विनम्रता से जवाब दिया था, महाभारत नहीं करती हूं, महाभारत की कथा सुनाती हूं।
बाद में फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने उन्हें अपने प्रसिद्ध धारावाहिक ‘भारत एक खोज’ में शामिल किया, जिससे पंडवानी पूरे देश में घर-घर तक पहुंची।
लोककला के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए तीजन बाई को पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
तीजन बाई ने कहा था, पंडवानी ही मेरा बेड़ा पार लगाएगी
उम्र और बीमारी के बावजूद तीजन बाई का पंडवानी के प्रति प्रेम अटूट है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, जैसे बच्चा मां को पकड़कर रखता है, वैसे ही मैंने पंडवानी को पकड़ रखा है। पंडवानी ही मेरा बेड़ा पार लगाएगी।