झोपड़ी में दिन काटने वाले 'राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र' कृष्णा सहित पांच लोगों को मिला नया घर
राज्योत्सव के मंच पर जिन पांच लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना की चाबी सौंपने के लिए बुलाया गया था, उनमें बलरामपुर के कृष्णा पहाड़ी कोरवा भी थे। दृष्टिहीन कृष्णा जिस पहाड़ी कोरवा समुदाय से आते हैं उनका स्थाई घर नहीं होता। जंगलों में सिर छिपाने लायक झोपड़ी या मचान में दिन काटने वाले समुदाय से जुड़े कृष्णा अब लेंटर वाली छत के मकान के मालिक हैं।
Publish Date: Sun, 02 Nov 2025 12:39:16 PM (IST)
Updated Date: Sun, 02 Nov 2025 01:15:19 PM (IST)
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर की चाबी पाने वाले लाभार्थी।HighLights
- 3.51 लाख लोगों को पीएम आवास योजना के तहत मिली चाबी
- बीजापुर गुदमा निवासी संबारू माड़वी चाबी पाकर खुश हैं
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं आपके सुख-दुख में साथ हूं
परितोष दुबे, रायपुर: राज्योत्सव के मंच पर जिन पांच लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना की चाबी सौंपने के लिए बुलाया गया था, उनमें 'राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र' कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा समुदाय के कृष्णा भी शामिल थे।
दृष्टिहीन कृष्णा जिस पहाड़ी कोरवा समुदाय से आते हैं, उनका स्थाई घर नहीं होता।
जंगलों में सिर छिपाने लायक झोपड़ी या मचान में दिन काटने वाले समुदाय से जुड़े कृष्णा अब लेंटर वाली छत के मकान के मालिक हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें मंच पर आवास योजना की चाबी की प्रतिकृति सौंपी। उनसे कुछ पलों के लिए चर्चा भी की। कृष्णा ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपके सुख-दुख में साथ हूं।
इन्हें कहा जाता है 'राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र'
देश के 75 जनजातिय समूहों को विशेष पिछड़ी जनजाति समूह की श्रेणी में रखा गया है। इसमें छत्तीसगढ़ की पांच जनजातियां भी शामिल हैं। इन जनजातियों को विशिष्ट असुरक्षित जनजातिय समूह ( Particularly Vulnerable Tribal Groups) कहा जाता है। इन 5 समूह के लोगों को ही राष्ट्रपति ने गोद लिया है। इन्हें ही राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है। इनमें बैगा, पहाड़ी कोरवा, कमार, अबूझमाड़िया, बिरहोर शामिल हैं।
3.51 लाख लोगों को मिली चाबी
कृष्णा ने बताया कि जब घर कच्चा था तो कई तरह की समस्याएं थीं। पानी नहीं सूखता था। बरसात के समय हमेशा कीचड़ भरा रहता था। फिसलने का डर लगा रहता था। परिवार में कोई न कोई बीमार रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। फिसलने का डर नहीं रहेगा। शनिवार को राज्य में कुल 3.51 लाख लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत नए मकान दिए गए हैं।
माओवादियों द्वारा पति की हत्या के बाद सबकुछ खत्म हो गया था
राज्योत्सव के मंच पर सुनीता बास्केरा को भी बुलाया गया था। वो दंतेवाड़ा के तरनुर गांव की निवासी हैं। वर्ष 2009 में उनके पति की माओवादियों ने हत्या कर दी थी। सुनीता बताती हैं कि माओवादी हिंसा में एक समय उनका सब कुछ खत्म हो गया था। अब उनके पास अपना नया घर है। आंखो में सपने हैं। परिवार का पालन-पोषण करने के लिए मुर्गीपालन कर रही हैं।
ऐसी ही कहानी कांकेर निवासी दसनी बाई नरोटी की है
ऐसी ही कहानी कांकेर निवासी दसनी बाई नरोटी की है। उनके पति की माओवादियों ने पिछले चुनाव के समय हत्या कर दी थी। अब उन्हें नक्सल पीड़ित परिवार के कल्याण के अंतर्गत नया आवास मिला है। दसनी बताती हैं कि कच्चे मकान में काटे गए बारिश के दिन याद आते ही हिम्मत जवाब दे देती है। अब नए घर ने हिम्मत दी है। आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है। रसोई में गैस है, कमरे में बिजली है। जीवन से अंधकार दूर हो रहा है।
बड़ी लड़की ने बड़ी कठिनाई में कच्चे घर में पढ़ाई की
राज्योत्सव के मंच पर मकान की चाबी पाने वालों में धमतरी के कौआबहार की सोनियाबाई भी थीं। तीन बच्चों की मां सोनिया बताती हैं कि बड़ी लड़की ने बड़ी कठिनाई में कच्चे घर में पढ़ाई की। अब बड़ी बेटी की तरह दोनों छोटे भाई-बहनों को तकलीफ नहीं सहनी होगी। पक्का घर आगे बढ़ने का मजबूत आधार बनेगा।
इसी तरह बीजापुर गुदमा निवासी संबारू माड़वी भी प्रधानमंत्री मोदी के हाथों घर की चाबी पाकर खुश हैं। माड़वी बताते हैं कि चार कमरों का घर बना है।