Railway News: अब ट्रेनें नहीं होगी लेट, 383 किमी रेलवे ट्रैक आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से हुआ लैस
Railway News: रेलवे स्टेशन में पहले लीवर प्रणाली से ट्रेन को कंट्रोल किया जाता था।एक ट्रेन जब तक दूसरे स्टेशन तक नहीं पहुंच जाती थी, स्टेशन मास्टर का संदेश न मिलने पर ट्रेन को अनावश्यक कही भी खडा कर दिया जाता था।
By Pramod Sahu
Edited By: Pramod Sahu
Publish Date: Thu, 16 Nov 2023 09:22:44 PM (IST)
Updated Date: Thu, 16 Nov 2023 09:22:44 PM (IST)
HighLights
- आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली सिस्टम लगने से अब कई ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आसानी से आवाजाही कर सकेगी।
- स्टेशन यार्ड से लगभग डेढ़ किलोमीटर पर एडवांस स्टार्टर सिग्नल लगाया गया है।
- रेलवे स्टेशन में पहले लीवर प्रणाली से ट्रेन को कंट्रोल किया जाता था।
रायपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)।Railway News: दुर्घटना की आशंका और ट्रेनों की लेटलतीफी को खत्म करने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन ने रायपुर और बिलासपुर मंडल के दाधापारा, बिल्हा, अकलतरा, घुटकू, चांपा से गेवरा रोड, नागपुर से भिलाई तक 383 किलो मीटर रेलवे ट्रैक को आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से लैस कर दिया है।आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली सिस्टम लगने से अब कई ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आसानी से आवाजाही कर सकेगी।
रेलवे मंडल के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली का जाल अपने तीनों मंडल में बिछाया जा रहा है। यह काफी कारगार आधुनिक, उन्नत तकनीक से लैस स्वचालित ब्लाक सिग्नलिंग प्रणाली है। प्रारंभिक तौर पर बिलासपुर से गतौरा के बीच सबसे पहले आटोमेटिक ब्लाक सिग्नलिंग सिस्टम लगाकर एक के पीछे एक ट्रेन चलाया गया था। यह प्रयोग सफल होने के बाद लगभग 100 मीटर के अंतराल में दो से अधिक ट्रेनों को भी बिलासपुर मंडल चला कर इसकी टेस्टिंग किया जा चुका है।
यहां, इतना चल रहा काम
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में आटोमेटिक ब्लाक सिग्नलिंग सिस्टम का काम नागपुर-भिलाई बीच 279 किलोमीटर, बिलासपुर-अकलतरा के बीच 27 किलोमीटर, बिलासपुर-बिल्हा के मध्य 16 किलोमीटर, बिलासपुर-घुटकू के बीच 16 किलोमीटर और चांपा-गेवरा रोड 45 किलोमीटर तक इन रेल खंडो में आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल प्रणाली का काम शुरू हो चुका है।
डेढ़ किलोमीटर में लगे है सिग्नल
आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल प्रणाली पूरी तरह कम्प्यूटाइ है। स्टेशन यार्ड से लगभग डेढ़ किलोमीटर पर एडवांस स्टार्टर सिग्नल लगाया गया है। सिग्नल के जरिए ट्रेन स्टेशन यार्ड में प्रवेश करते ही स्टेशन मास्टर को सूचना दे देती है। आटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल प्रणाली की खासियत यह भी है कि एक ट्रेन दूसरे ट्रेन के पीछे चलती रहती है और अगर तकनीकी खामी आने पर पीछे चल रही ट्रेन को सूचना मिल जाएगी, इससे जो ट्रेन जहां थी वही पर खड़ी हो जाएगी।इससे दुर्घटना की संभावना भी काफी कम हो जाएगी।
कोरबा से गेवरा के बीच चल रहा काम
बिलासपुर मंडल के कोरबा से गेवरा के बीच आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल प्रणाली का काम चल रहा है। गेवरा से कोरबा मंडल के बीच काम पूरा होने के बाद लाइन को चांपा से गेवरा रोड तक जोड़ दिया जाएगा।रेलवे अधिकारियों ने बताया कि कोरबा से चांपा तक जल्द ही आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली की शुरूआत होने से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जायेगी।
पहले स्टेशन पहुंचने पर छूटती थी दूसरी ट्रेन
रेलवे स्टेशन में पहले लीवर प्रणाली से ट्रेन को कंट्रोल किया जाता था। एक ट्रेन जब तक दूसरे स्टेशन तक नहीं पहुंच जाती थी, स्टेशन मास्टर का संदेश न मिलने पर ट्रेन को अनावश्यक कही भी खडा कर दिया जाता था।आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लागू के बाद एक ब्लाक सेक्शन में एक ही रूट पर एक से अधिक ट्रेनें चल रही है।इससे ट्रेनों की गति में सुधार होने का दावा रेलवे ने किया है।