रायपुर। गोबर का महत्व सदियों से रहा है। पहले केवल खेतों में खाद और जलाने के लिए कंडे बनाने में उपयोग में लाया जाता था। सरकार ने गोबर खरीद कर इसका महत्व और बढ़ा दिया है। अब तो गोबर से गुलाल बन रहा है, जो होली पर हर आम और खास के चेहरे पर मला जाएगा। गांव वाले खुश हैं कि उनकी गाय का गोबर घर-घर तक पहुंच गया है।
कमाई भी होने लगी है, शहरी युवक युवतियां जिस गोबर के पैरों के नीचे आ जाने से नाक भौं सिकोड़ते थे, अब वही गोबर, गुलाल बनकर गालों की शोभा बढ़ाएगा। इससे वह कहावत चरितार्थ होगी कि एक दिन घुरुए के भी दिन बदलते हैं। वाकई गोबर ने कई लोगों को रोजगार दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। अब गोबर को कोई हेयदृष्टि से नहीं देखता। कोई यह नहीं कहता कि दिमाग का गोबर मत कर। गोबर से रोजीरोटी जो चलने लगी है।
कचरा घर बना सेल्फी जोन
देवेंद्र नगर के लोग ऐसे लोगों से परेशान रहते थे, जो आते-जाते हुए जहां-तहां कचरा फेंक देता था। एक दिन सफाई होती और दूसरे दिन फिर वही हालत। स्मार्ट सिटी योजना ने एक काम अच्छा किया कि ऐसी जगहों को खूबसूरत बनाकर उसे सेल्फी जोन घोषित कर दिया। अब यहां एक बोर्ड में लिख दिया कि अपनी खूबसूरत तस्वीर खींचे। युवतियों ने सेल्फी जोन देखते ही अपनी और ग्रुप की फोटो लेना शुरू कर दिया।
वे ही पहले यहां चिप्स-पिज्जा केपैकेट फेंक देते थे। सेल्फी जोन बनते ही युवाओं के व्यवहारमें बदलाव आया। पैकेट को डिब्बे में ही डाला जाने लगा। अब, एक पंथ दो काज हो रहा है। एक तो गंदगी नहीं फैल रही और दूसरा, युवा मस्त होकर सेल्फी खींचने का आनंद ले रहे हैं। इलाकेवासी खुश हैं कि बदबू तो दूर हुई। अब लोग यह भी कह रहे कि काश पूरे शहर में सेल्फी जोन बन जाए।
नौकरी नहीं तो छोकरी नहीं
एक कहावत है कि नौकरी नहीं तो छोकरी नहीं, शादी करने केलिए नौकरी जरूरी है। जीवनसाथी चुनने के लिए हुए एक सम्मेलन में युवतियों ने कहा कि उन्हें सरकारी नौकरी करने वाला लड़का ही पति रूप में चाहिए। इस पर अतिथि के रूप में मौजूद मंत्रीजी ने युवतियों को सलाह दी कि सरकारी नौकरी हर किसी को नहीं मिलती। इस चक्कर में शादी की उम्र न बढ़ाएं। कहीं ऐसा न हो कि सरकारी नौकर को पति रूप में पाने के लिए इंतजार करते रहो और शादी की उम्र गुजर जाए।
लड़का अच्छा हो, कमाता हो, परिवार अच्छा हो, बस यही काफी है। कुछ अभिभावकों को मंत्रीजी की बात जमी और कई रिश्तों की बात फर्राटे से आगे बढ़ी। आयोजक खुश हैं कि मंत्रीजी ने सच्चाई बयान कर युवतियों और माता पिता की आंखें खोल दी, वरना लड़की की उम्र 35 पार हो जाती और दामाद के लिए आंखें तरस जाती।
हाथी दांत न बन जाए सरकारी शो रूम
सरकारी कार्यालय हो या सरकारी राशन दुकान। वहां बैठने को भी ढंग की जगह नहीं होती। लोग घंटों धूप में खड़े रहते हैं पीने का पानी, नाश्ता, जूस भी पैसा खर्च करने पर भी नसीब नहीं होता। परेशान लोग सरकारी महकमे को कोसने से बाज नहीं आते। इस कुव्यवस्था के बीचसरकार ने निजी कंपनियों केभव्य माल और शो रूम की तर्ज पर सरकारी सी मार्ट खोलने की योजना को अमल में लाना शुरू किया है।
यहां ग्रामीण उत्पादों की बिक्री की जाएगी। लोग कह रहे कि योजना तो अच्छी है पर क्या निजी माल, शो रूम जैसी सुविधा लोगों को मिलेगी। सरकारी कर्मी क्या अपनी ड्यूटी, मुस्तैदी से करेंगे। आलीशान बाथरूम हर घंटे साफ होगा। खाने पीने की चीजें सही मिलेंगी या केवल बाहरी दिखावा होगा। कहीं, ऐसा तो नहीं की सी मार्ट के नाम पर करोड़ों फूंक दिए जाएं और कुछ साल घाटे में चलाकर बंद कर दिया जाए।