
रायपुर। Gadhkaleva Raipur छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद लोगों तक पहुंचाने की उपलब्धि गढ़कलेवा को जाता है। गढ़कलेवा रायपुर शहर के बीचोबीच स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय मेें स्थित छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के खान-पान का स्थल है। यहां केवल पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन ही परोसे जाते है। अगर आप भी चिला, फरा, बड़ा, बोरे-बासी,आम पना, अंगाकड़ रोटी, चावल की रोटी के साथ मिर्च की चटनी के शौकीन है तो गढ़कलेवा आइए। खास बात यह है कि इसका संचालन भी महिला स्व सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। गढ़कलेवा की स्थापना 26 जनवरी 2016 में हुई थी। यहां खाद्य पदार्थों को परोसने के लिए भी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक संस्कृति में इस्तेमाल किए जाने वाले कांसे और पीतल के बर्तनों की व्यवस्था है।
छत्तीसगढ़ी खानपान के साथ पूरा माहौल छत्तीसगढ़िया
गढ़कलेवा में छत्तीसगढ़ी खानपान के साथ पूरा माहौल भी ग्रामीण परिवेश में है। इस स्थान पर बस्तर के मुरिया जनजाति के कलाकारों ने लकड़ी पर कारीगरी के आधार पर आकर्षक सौंदर्य का अंकन है। इसके साथ ही सरगुजा के कारीगरों ने भी मिट्टी के रिलीफ वर्क और जाली तथा पारंपरिक लिपाई-पुताई के नमूने दीवार पर अंकित है। इसका संचालन ज्ञानदीप महिला स्व सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। इसकी अध्यक्ष रेखा तिवारी, सदस्य मंजू अर्जरिया, राजेश्वरी अग्रवाल सहित 40 से 50 महिलाएं है।
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अपनों के साथ बैठकर खाने का अलग ही मजा
गढ़कलेवा में चिला-फरा सहित अन्य छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के शौकीन अपने पूरे परिवार के साथ आते है और यहां ग्रामीण परिवेश में बैठकर बड़े ही आराम से बातचीत करते व्यंजन का लुत्फ उठाते है। यहां ग्रामीण परिवेश में पेड़ के नीचे या मितान, संगवारी, घरौंदा, पहुना,ठिहा आदि में बैठकर अपने मनपसंद छत्तीसगढ़ी व्यंजन खाता है। साफ-सफाई व सर्विस के मामले में भी यहां कभी कोताही नहीं बरती जाती। सुबह खुलने से लेकर रात बंद होने तक यहां छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की खुशबू फैलती है। यहां आकर एकदम से आर्डर देने की बाध्यता भी नहीं है और आराम से बैठकर बातचीत कीजिए और जब मन करें पसंदीदा व्यंजन का आर्डर करें। अब बढ़ती गर्मी को देखते हुए जल्द ही यहां शुरू होने वालाा है आम पना, बेल शर्बत और बोरे-बासी। .jpg)
आनलाइन पार्सल सुविधा भी उपलब्ध
बड़े-बड़े होटलों व रेस्टारेंट के ही समान गढ़कलेवा में भी आनलाइन पार्सल की सुविधा उपलब्ध है। उपभोक्ता अपने मनपसंद छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ घर बैठे ही उठा सकते है।

इनका यह है कहना
तेलीबांधा में रहने वाली खिलेश वर्मा का कहना है कि उन्हें छत्तीसगढ़ी व्यंजन काफी पसंद है और इसके लिए ही यहां आते रहते है, यहां का स्वाद ही अलग है। हमेशा आते रहते हैं। इसी प्रकार नया रायपुर के सूरज साहू का भी कहना है कि जब भी उन्हें छत्तीसगढ़ी व्यंजन खाने होते है,यहां आ जाते है। यहां का स्वाद ही लाजवाब रहता है।