रायपुर स्थानीय संपादकीय : छत्तीसगढ़ में ध्वनि प्रदूषण पर कार्रवाई
ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए हर सामाजिक, व्यापारिक, धार्मिक संस्था के साथ राजनीतिक पार्टियों को स्वस्फूर्त आगे आना चाहिए।
By Kadir Khan
Edited By: Kadir Khan
Publish Date: Sat, 04 Dec 2021 07:20:00 AM (IST)
Updated Date: Sat, 04 Dec 2021 07:20:12 AM (IST)

रायपुर। रायपुर नगर निगम की टीम ने निर्धारित 40 डेसीबल से ढाई से तीन गुना अधिक ध्वनि वाले डीजे सहित 10 वाहनों को जब्त किया। जिला प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम की यह कार्रवाई देर आयद दुरुस्त आयद वाली भले ही हो, लेकिन है तो प्रशंसनीय। भविष्य में भी निगम के अधिकारियों से इस तरह की सख्ती की अपेक्षा है। ध्वनि प्रदूषण का यह मामला सिर्फ रायपुर तक सीमित नहीं है, इसलिए बड़े शहरों से लेकर तमाम छोटे-छोटे गांवों तक में ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए।
महत्वपूर्ण बात यह है कि बिलासपुर हाई कोर्ट ने नवंबर, 2017 में राज्य सरकार से पूछा था कि करीब सवा करोड़ रुपये खर्च करके 135 ध्वनि मापक यंत्र मंगवाने के बाद अत्यधिक शोर करने वाले डीजे बजाने वाले लोगों पर क्या कार्रवाई की गई? सरकार ने हाई कोर्ट के सवाल का जवाब तो नहीं दिया, लेकिन करीब पौने पांच करोड़ रुपये में 513 अतिरिक्त ध्वनि मापक यंत्र खरीदकर छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल को दिए। इसके बावजूद आज तक ऐसी कोई कार्रवाई सामने नहीं आई। जिससे यह लगे कि सरकार भी हाई कोर्ट की तरह चिंतित है।
कानून के मुताबिक यदि कमर्शियल वाहन पर ध्वनि प्रदूषण वाले डीजे पाए जाते हैं तो डीजे के साथ वाहन को जब्त किया जाना है। यदि दोबारा कमर्शियल वाहन डीजे को रखकर ध्वनि प्रदूषण करते पाया जाता है तो उसे जब्त कर तत्काल उसका परमिट निरस्त किया जाना है और कोर्ट में मामले को पेश करने के बाद ही वाहन का परमिट निरस्त करना है। इतने सख्त कानून के बावजूद आज भी जगह-जगह गली-मुहल्लों से लेकर सरेआम सड़कों पर डीजे का हार्टफेल करने वाला शोर सुनाई देता है।
इससे साफ कि प्रशासन और संबंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की। शायद यही वजह है कि प्रदेश के हर शहर में होने वाले बड़े सामूहिक आयोजनों में जमकर डीजे बजाए जाते हैं। इसके बावजूद प्रशासन पहले से ध्वनि नियंत्रण की दिशा में न तो कोई पहल करता है और न ही लोगों को ध्वनि प्रदूषण से बचाव को लेकर जागरूक किया जाता है।
डीजे से होने वाली परेशानी को ऐसे लोगों अधिक परेशानी होती है, जो दिल के मरीज हैं। राज्य में घटते जंगल और हवा में लगातार बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण के बीच समारोहों में डीजे के माध्यम से होने वाला ध्वनि प्रदूषण चिंता बढ़ाने वाला है। ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए हर सामाजिक, व्यापारिक, धार्मिक संस्था के साथ राजनीतिक पार्टियों को स्वस्फूर्त आगे आना चाहिए। सख्ती होगी तो आम लोगों को राहत मिलेगी। डीजे वाले भी सजग हों। उनका भी सामाजिक दायित्व है। वे उससे बच नहीं सकते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रशासन इसी तरह सख्त कार्रवाई जारी रखेगा।