रायपुर। रायपुर विकास प्राधिकरण खारुन नदी का कायाकल्प करने के लिए दिल्ली की वेपकोस कंपनी को कंसल्टेंट नियुक्त किया है। कंपनी को छह महीने के भीतर मास्टर प्लान बनाकर तैयार करना होगा। आरडीए इस मास्टर प्लान को राज्य सरकार को भेजेगी और मंजूरी मिलने के बाद खारुन नदी को विकसित करने का काम शुरू किया जाएगा।

रायपुरा स्थित महादेवघाट के खारुन नदी को लेकर राज्य सरकार चिंतित है। यही वजह है कि सरकार ने इसे विकासित करने की योजना बनाई। इसके लिए रायपुर विकास प्राधिकरण को जिम्मेदारी दी गई। आरडीए ने खारुन नदी रिवर फ्रंट को विकसीत करने के लिए बजट में प्रावधान किया। आरडीए ने इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने टेंडर जारी किया था। इसमें पांच कंपनियों ने हिस्सा लिया लेकिन आरडीए ने दिल्ली की वेपकोस कंपनी को ठेका दे दिया है। कंपनी अब खारुन नदी का पूरा सर्वे करेगी। इसमें महादेवघाट से लेकर चंदनीडीह के 22 किलोमीटर का सर्वे होगा। इस प्रोजेक्ट में गार्डन, आवासिय एवं कॉमिर्शियल कॉम्पलेक्स बनाए जाएंगे। वहीं नदी के जल को पर्यावरण के दृष्टिकोण से संरक्षित करने की दिशा में काम करना होगा। कंपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार आरडीए को देगी। इस पर आरडीए के अधिकारी मंथन करेंगे इसके बाद प्रोजेक्ट को बोर्ड की बैठक में मंजूरी दी जाएगी। आरडीए इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार को भी भेजेगी जहां से निर्देश मिलने के बाद प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जाएगा। इस तरह योजना के शुरू होने में एक साल का समय लग सकता है।

1500 करोड़ का प्रोजेक्ट, बजट में 2.50 करोड़ का प्रावधान

सूत्रों के मुताबिक खारुन नदी रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में करीब 1500 करोड़ खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है। आरडीए ने इस वर्ष के बजट में करीब 2.50 करोड़ का प्रावधान किया है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट की मंजूरी के बाद और राशि खर्च की जाएगी।

बारिश के बाद काम शुरू होने की संभावना

खारुन नदी का काम बारिश की वजह से प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। आरडीए ने जिस कंपनी को टेंडर दिया है उसे काम शुरू करने का निर्देश दिया है। वहीं पिछले दिनों आवास एवं पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत ने आरडीए के पदाधिकारियों की बैठक लेकर खारुन नदी का काम जल्द से जल्द पूरा करने कहा है।

खारुन नदी रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के लिए आरडीए ने कंसल्टेंट नियुक्त कर दिया है। कंपनी अब खारुन नदी का नक्शा, खसरा लेकर काम शुरू कर सकती है। कंपनी को छह महीने के भीतर डीपीआर बनाने को कहा गया है। डीपीआर बनने के बाद इसे राज्य सरकार को मंजूरी के भेजा जाएगा।

- एमडी कावरे, सीईओ, आरडीए

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