रायपुर। नईदुनिया, राज्य ब्यूरो
छत्तीसगढ़ी व्याकरण की दृष्टि से समृद्ध है। इसके बावजूद भाषा का दर्जा हासिल करने के लिए छत्तीसगढ़ी का संघर्ष लगातार चल रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राथमिकता से 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसमें बघेल ने राज्य की तीन करोड़ जनता की भावनाओं के अनुरूप त्वरित और सकारात्मक निर्णय लेने का आग्रह किया है।
1890 में प्रकाशित हुआ था व्याकरण
छत्तीसगढ़ी का व्याकरण हीरालाल काव्योपाध्याय ने तैयार किया था, जिसका संपादन और अनुवाद प्रसिद्घ भाषाशास्त्री जार्ज ए. ग्रियर्सन ने किया था, जो सन 1890 में जर्नल ऑफ द एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल में प्रकाशित हुआ था। छत्तीसगढ़ का विपुल और स्तरीय साहित्य उपलब्ध है। इसमें निरंतर वृद्घि हो रही है।
बहुसंख्यक जनता की भाषा छत्तीसगढ़ी
सीएम ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी की उपबोलियां व कुछ अन्य भाषाएं भी प्रचलन में हैं लेकिन राज्य की बहुसंख्यक जनता की भाषा और अन्य क्षेत्रीय बोलियों के साथ संपर्क भाषा छत्तीसगढ़ी ही है।
28 नवंबर को मनाया जाता है राजभाषा दिवस
राज्य की विधानसभा ने छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दे रखा है। 28 नवंबर 2007 को विधान सभा में सर्वसम्मति से छत्तीसगढ़ राजभाषा (संशोधन) विधेयक 2007 पारित कर छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। इसके बाद से 28 नवंबर को राजभाषा दिवस के रुप में मनाया जाता है।
सांसदों को करनी होगी पहल
पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के अनुसार ऐसा कोई तकनीकी कारण नहीं है जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा न मिल सके। इसे राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए सांसदों को पहल करनी होगी, क्योंकि यह काम संसद ही करेगी। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के प्रथम सचिव रहे डॉ. दुबे ने बताया कि कुछ मौकों पर लोकसभा और राज्यसभा में यह मुद्दा उठा भी, लेकिन चर्चा नहीं हो पाई।