रायपुर। Two Mumukshu will take Diksha सांसारिक जीवन में भौतिक सुखों का त्यागकर संयम के मार्ग पर चलकर दो मुमुक्षु दीक्षा ग्रहण करने जा रहे हैं। साइंस कालेज मैदान में भव्य समारोह में बुधवार को दीक्षा लेंगे। इस अनमोल पल का साक्षी बनने के लिए प्रदेशभर से हजारों श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। सुबह चार बजे से दीक्षा के विविध संस्कार संपन्न होंगे। दोनों दीक्षार्थियों को वैराग्य जीवन में प्रवेश करने के पश्चात नया नाम दिया जाएगा। दोनों मुमुक्षुओं के स्वागत में मंगलवार को वरघोड़ा, शोभायात्रा निकाली गई। गाजे बाजे के साथ निकाली गई यात्रा में अनेक जगहों पर मुमुक्षुओं पर केसर, फूलों की वर्षा की गई।
बता दें दीक्षार्थियों 27 वर्षीय संदीप कोचर एवं 23 वर्षीय प्रज्ञा कोचर को दो बग्घी पर विराजित किया गया। वे श्रद्धालुओं का अभिवादन स्वीकार करते चल रहे थे। वर्षीदान वरघोड़ा यात्रा सुबह दादाबाड़ी से निकलकर श्री ऋषभदेव जैन मंदिर सदर बाजार पहुंची। इससे पूर्व 18 अभिषेक विधान, गुरुमूर्ति अभिषेक, ध्वजदंड कलश अभिषेक के साथ संपन्ना हुआ। खरतरगच्छाधिपति जिनमणि प्रभ महाराज ने कहा कि संसार के भौतिक सुखों में हम दिन रात लगे रहते हैं और वही भौतिक सुख हमारे दु:ख का कारण है। हम यह सब जानते हैं, फिर भी इस मोह माया के जंजाल से निकलना नहीं चाहते हैं, पर दो युवा दीक्षार्थी को देख कर ऐसा लगता है कि इन्होंने कम उम्र में ही परमात्मा की वाणी को अंगीकार कर लिया और इस संसार के दिखावे के रिश्तों को छोड़कर परमात्मा से अपना रिश्ता जोड़ने का मन बना लिया है।
भगवान जन्म की बधाई का मंचन
मंगलवार को रत्नपुरी नगरी साइंस कालेज में परमात्मा के जन्म की बधाई प्रियंवदा दासी ने राजा भानु को दी। राजा भानु ने प्रियंवदा को बधाई के रूप में सात जन्मों तक समाप्त न हो, इतना धन दिया। जैन धर्म में सभी वर्ग को समान रूप से देखा गया है और सबको सम्मान दिया गया है, इसलिए परमात्मा के जन्म की बधाई सदैव प्रियंवदा दासी नाम की दासी ही देती है। संसारी सारे विधि विधान के अनुरूप परमात्मा का नामकरण बुआ द्वारा किया जाता है, परमात्मा का पाठशाला गमन, राज्याभिषेक आदि का मंचन भी बहुत ही आकर्षक ढंग से संपन्ना हुआ।
दीक्षा कल्याणक का मंचन
साइंस कालेज मैदान की रत्ननगिरी में बुधवार को दीक्षा कल्याणक महोत्सव का मंचन किया जाएगा। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के चार फेरों की यात्रा, सगाई महोत्सव, मायरा (मामेरा), लग्नोत्सव (पाणिग्रहण विधि), राज्याभिषेक, वैराग्य चिंतन, नौ लोकांतिक देवों द्वारा परमात्मा की दीक्षा होगी।