फ्लैग : अभा राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के महामंत्री और राजस्थान विवि के कुलपति पहुंचे रायपुर
रायपुर । निप्र
छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के बीच हुई बैठक कोई नई घटना नहीं है। इसमें भगवाकरण की सोच गलत है, राजनीति रंग है। संघ ऐसे लोगों को बैठक में बुलाता है, जो उनकी विचारधारा पर विश्वास करते हैं। यह तो कुलपति को तय करना है कि कौन सी विचारधारा छात्रहित में है या नहीं है। कुलपति की एक गरिमा होती है, अपनी सोच होती है। वह ऐसा व्यक्ति नहीं कि किसी के बहकावे में आ जाए। यदि किसी संगठन की सोच या विचारधारा से कुछ लेने लायक है, तो इसमें बुराई क्या है? हमारे लिए तो कांग्रेस, भाजपा, सपा, कम्युनिस्ट सब बराबर हैं।
यह कहना है करीब 100 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और प्रोफेसर्स का नेतृत्व कर रहे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के महामंत्री और विद्यार्थियों की संख्या के मामले में देश के सबसे बड़े राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति जेपी सिंघल का। वे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रांतीय अधिवेशन में शामिल होने रविवार को राजधानी के साइंस कॉलेज पहुंचे थे। उन्होंने प्रांतीय अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि राज्य के कई कुलपतियों और प्रोफेसर्स को संबोधित किया। नईदुनिया ने उनसे हाल ही में कुलपति और आरएसएस के बीच हुई बैठक को लेकर चर्चा की तो उन्होंने खुलकर बातें रखीं। सिंघल ने कहा कि वे खुद आरएसएस की विचारधारा से संबंध रखते हैं, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे विवि के कुलपति के कामों में भी हस्तक्षेप करेंगे। उन्होंने कहा कि संघ कुलपतियों के कामों में हस्तक्षेप नहीं करता और न ही करना चाहिए।