रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। छत्तीसगढ़ में आजकल आइ लव यू वाला ही मौसम चल रहा है। ये ऐसा चक्कर है, जिससे कोई बाहर ही नहीं निकल पा रहा है। ठेकेदार, अधिकारियों को आइ लव यू बोल रहा है। अधिकारी, नेता को आइ लव यू बोल रहा है। चोर-बदमाश, पुलिसवालों को आइ लव यू बोल रहे हैं।
ऐसी स्थिति में ईडी की भी एंट्री हो गई। ईडी ने जब यहां अपना प्रेम दिखाया तो त्राहिमाम जैसी स्थिति हो गई। एक आइएएस निपट गए। उनके विषय में ईडी का कहना है कि वे उपहार में सोना लेते थे। लोगों ने टिप्पणी की कि इसी कारण से सोने का भाव बढ़ रहा है। पिछली बार के छापों के बाद एक सज्जन ने ईडी पर आरोप लगा दिया था कि ईडी वाले उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का प्रलोभन दे रहे थे। अब ताजा छापों के बाद ईडी वाले उन्हें भी आइ लव यू बोलने के लिए ढूंढ़ रहे हैं।
'बकरीद में नहीं बचेंगे" थरूर
छत्तीसगढ़ सहित देश भर में जो परिस्थितियां बनी हैं, उन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर 'बकरीद में नहीं बच पाएंगे।" शशि का छत्तीसगढ़ में दौरा भी नहीं हुआ है। हालांकि समर्थन मांगने तो यहां मल्लिकार्जुन खड़गे भी नहीं आए, लेकिन पार्टी की अघोषित गाइड लाइन के अनुसार खड़गे का ही पलड़ा भारी है।
यहां चुनाव जैसा वातावरण दिख भी नहीं रहा है। न तो इंटरनेट मीडिया में कोई बात की जा रही है, न ही अलग से कोई प्रचार किया जा रहा है। बिना कुछ किए सब कुछ खड़गेमय ही दिख रहा है। दूसरे प्रतिद्वंद्वी थरूर की स्थिति यहां ऐसी है कि उन्हें एजेंट तक नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में संभव है कि यहां के 307 वोट खड़गे के ही खाते में गिरें यानी कांग्रेस को खड़गे के रूप में नया अध्यक्ष मिल जाएगा। अच्छा है, पर चुनौतियां भी बड़ी होंगी।
राजकीय बाबा बनने को चला रहे प्रशंसा अस्त्र
सत्ता और बाबा, इस देश ने वर्षों तक इनके गठजोड़ का खेल देखा। एक समय ऐसा भी था, जब एक बाबा की कही बात पत्थर की लकीर बन जाती थी। सत्ता की अस्थिरता के कारण वे वाले बाबा कब निपटे, किसी को पता नहीं चला। कई बाबा अब संघर्षरत हैं।
पड़ोसी राज्य में हुए चुनाव में 'राजा" के निपटने के बाद अपनी बात से पलटने वाला एक बाबा अब नया राजा ढूंढ़ रहा है। राजा को साधने के लिए ये बाबा अभी प्रशंसा अस्त्र का उपयोग कर रहा है। संभव है कि शीघ्र ही लोगों को एक 'राजकीय बाबा" मिल जाए। एक और बाबा था। वह भी कम भयंकर नहीं था। विधानसभा भवन को बांधकर उसने तत्कालीन राजा के अजेय होने की घोषणा कर दी थी। तीन बार के चुनाव में सभी बाधाओं को पार करके विजयश्री पाते रहे राजा, इस बाबा के फेर में पड़ते ही परास्त हो गए।
भविष्यवाणी कभी-कभी सही भी होती है
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून सीजन में कई बार ऐसा हो चुका है, जब मौसम विभाग ने कहा कि अभी वर्षा नहीं होगी, पर उसी समय ऐसी वर्षा हुई, मानो मेघ फट गए। ऐसा क्यों हुआ, ये तो मौसम विभाग वाले ही बता पाएंगे। ठीक ऐसा ही मानसून की विदाई को लेकर चल रहा है यानी सटीक अनुमान अब भी मौसम विभाग की पहुंच से दूर है। ये स्थिति तब है, जब सारी व्यवस्थाएं इनकी भविष्यवाणी के आधार पर ही तय की जाती है।
विमानों की उड़ानें, कृषि कार्य, वीआइपी मूवमेंट जैसे कई बड़े काम इनकी भविष्यवाणी के आधार पर ही तय किए जाते हैं। ऐसे में इनके सटीक न होने से कभी बड़ी समस्या भी हो सकती है। रायपुर के विस्तार के बाद भी मौसम विभाग लालपुर से ही डाटा संग्रह करता है। राजधानी होने के कारण यहां मध्य भाग के साथ चारों दिशाओं से वर्षा-तापमान के आंकड़े संग्रह किए जाने चाहिए।