रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कलेक्ट्रेट के निकट स्थित मल्टी लेबल पार्किंग में पिछले दिनों बकरा काटा, पकाया और खाया गया था। यह दुष्कृत्य ठेकेदार के कर्मचारियों ने किया था। इस कारण ठेकेदार को ठेके से हाथ धोना पड़ गया। दरअसल पार्किंग ठेकेदार के आदमियों ने छुट्टी के दिन बकरा पार्टी मनाने के लिए बाकायदा दो बकरों का इंतजाम किया। एक बकरे को बांधकर रखा, जबकि दूसरे को काट दिया।
करीब दो घंटे तक कर्मचारी वहां पर मांस पकाने के साथ खानपान करते रहे, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। कलेक्ट्रेट परिसर पहले से गांधी धाम घोषित है। यहां धूम्रपान, शराब सेवन भी प्रतिबंधित है। प्रतिबंधित क्षेत्र को कसाई खाना बनाना बेहद संवेदनशील मामला है। वीडियो वायरल होते ही भाजपा पार्षद दल, विभिन्न संगठन सक्रिय हुए। मामले में तीन कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई, जबकि ठेकेदार से पार्किंग की ठेकेदारी छिन ली गई। संतों ने मंत्र पढ़ने के साथ गंगाजल छिड़ककर परिसर का शुद्धिकरण किया।
नकेल कसेंगे जय-वीरू
राजधानी रायपुर में लगातार अपराध बढ़ रहा है। दिन हो या रात, इसकी बिना परवाह किए बदमाश राह चलते लोगों को चाकू मारकर लूटपाट कर रहे हैं। जिस तरह से एक के बाद एक हत्या की वारदात हुई है, उनसे साफ है कि बदमाशों को कोई डर नहीं है, उनका दुस्साहस बढ़ा हुआ है।
इधर बढ़ती आपराधिक घटनाएं रोकने में नाकाम सीएसपी और थानेदारों को एसी रूम छोड़कर फील्ड में सक्रिय रहने की सीख देने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सड़क पर उतरना पड़ रहा है। बावजूद इसके मातहतों पर इसका असर होता दिख नहीं रहा है। हाल ही में गृह विभाग ने रायपुर में काम कर चुके एएसपी सुखनंदन राठौर और देवचरण पटेल को फिर से शहर की जिम्मेदारी सौंपी है। जय-वीरू की जोड़ी की तर्ज पर दोनों पुलिस अधिकारी शहर के मिजाज के वाकिफ हैं और नशेड़ियों-बदमाशों पर नकेल कैसे कसनी है, यह भी बखूबी जानते हैं।
मूल विभाग में लौटे साहब
सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले अक्सर सामने आते हैं। ताजा मामला मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड का सामने आया है। यहां पर पदस्थ सहायक औषधि नियंत्रक बसंत कौशिक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही लोक स्वास्थ्य एवं कल्याण विभाग ने उन्हें उनके मूल विभाग कार्यालय नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन वापस भेज दिया। कौशिक की जगह हिरेन मनुभाई पटेल को बैठाया गया है।
चर्चा है कि बसंत कौशिक के कार्यकाल में काफी भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी शिकायत ऊपर तक पहुंचते ही बाकायदे आदेश जारी करके एक झटके में उन्हें विभाग ने रवाना करने में देर नहीं की। हालांकि आदेश को रुकवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने की कोशिश भी की गई, पर इसका असर कुछ नहीं हुआ। अब नए साहब के आने से उम्मीद की जा रही है कि विभाग में चल रही लेन-देन की परिपाटी समाप्त भले ही न हो, लेकिन कम जरूर हो सकती है।
सहमे-सहमे हैं आरआइ-पटवारी
रायपुर कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के सख्त तेवर से आरआइ और पटवारी सहमे हुए हैं। दरअसल कलेक्टर को लगातार शिकायत मिल रही थी कि जमीन के नामांतरण, बटांकन, सीमांकन के साथ ही आनलाइन एंट्री कराने के लिए लोगों को कलेक्ट्रेट से लेकर तहसील कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। ऐसे में उन्होंने भुंइया अपडेट रखने का सख्त आदेश जारी किया।
कलेक्टर ने साफ शब्दों में कहा है कि पटवारी, आरआइ को अब आवेदन मिलते ही उसकी आनलाइन एंट्री करनी होगी, ताकि एक नजर में आम लोगों को जानकारी हो कि उनके आवेदन कहां अटके हैं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो सीधे कार्रवाई होगी। इस आदेश का असर यह हुआ कि पखवाड़े भर में ही 45 सौ से ज्यादा एंट्री हो गई, जबकि पहले छह महीने में केवल दो हजार एंट्री भी नहीं होती थी। इस मामले में एक रीडर की वेतन वृद्धि रोकने का असर भी हुआ है।