रायपुर। Raipur News : छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के सीतामढ़ी से लेकर बस्तर के रामोराम तक लगभग 1,130 किलोमीटर तक श्रीराम वनगमन मार्ग का विकास होने जा रहा है। इससे छत्तीसगढ़ की विश्व भर में अलग पहचान बनेगी।
एक ओर छत्तीसगढ़ जहां श्रीराम की माता का मायका है, वहीं दूसरी ओर वनवास काल का अधिकतम समय भी श्रीराम ने दंडकारण्य क्षेत्र में व्यतीत किया था। विश्व भर में 40-50 रामायण लिखी गई है और सभी में दंडकारण्य क्षेत्र का उल्लेख है।
यह दंडकारण्य क्षेत्र कोरिया से लेकर बस्तर तक के वनमार्ग को माना जाता है। ये विचार संस्कृति विभाग के नेतृत्व में श्रीराम के मूर्त और अमूर्त रूप पर आयोजित संगोष्ठी में वन विभाग के प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।
अध्यक्षता कर रहे अयोध्या शोध संस्थान लखनऊ के निदेशक डा.योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमारे देश में कई भाषा और धर्म होने के बावजूद अनेकता में एकता है और श्रीराम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
श्रीराम भारतीय संस्कृति के पर्याय हैं। श्रीराम ने मानव धर्म पर अपने कर्म को पहला स्थान दिया था। वक्ताओं ने श्रीराम के जनजन के बीच लोकप्रिय होने का उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में हर दिन राम नाम का संकीर्तन होता है। श्रीराम जन-जन के मन में और छत्तीसगढ़ की धरती के कण-कण में विराजित हैं।
छत्तीसगढ़ के लोक संगीत की पुस्तक का विमोचन
संगोष्ठी में डा.पीसी लाल यादव द्वारा लिखित छत्तीसगढ़ के लोक संगीत पुस्तक का विमोचन किया गया। इस मौके पर वक्ता डॉ.शोभा निगम ने श्रीराम वनगमन के दौरान छह विश्राम स्थलों पर शोध आलेख का पाठ किया।
विशिष्ट अतिथि रामअवतार शर्मा, संग्रहालय विज्ञानी संजीव, डा.पीयूष कुमार पांडेय, डा.अनंदमूर्ति मिश्रा, कोविंद पटेल, अशोक तिवारी, शैलेष मिश्रा ने भी श्रीराम पर आधारित आलेख का पाठन किया। ललित मिश्रा ने रामनामी संप्रदाय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।
श्रीराम वनगमन प्रदर्शनी का अवलोकन
संगोष्ठी के दूसरे दिन अतिथियों ने दीप प्रज्वलित करके श्रीराम वनगमन पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि वक्ताओं के शोध आलेख से निश्चित ही भविष्य में श्रीराम वनगमन मार्ग से आमजन भी अवगत होंगे और श्रद्धा, आस्था के साथ छत्तीसगढ़ की ख्याति बढ़ेगी।
लवकुश जन्म प्रसंग ने मोहा मन
शाम को सभागार में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोक कलाकार राकेश तिवारी, मुरली साहू ने लवकुश जन्म प्रसंग, कौशल्या के राम भजन एवं लोक नाट्य से दर्शकों को भावविभोर कर दिया।