रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
राज्य की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है सिकलसेल। इससे राज्य के 9.5 फीसद यानी करीब 2.25 लाख लोग पीड़ित हैं। इस बीमारी का अब तक कोई टीका बना है, न दवा है। हालांकि मरीजों को दी जाने वाली हाईड्रॉक्सीयूरिया टैबलेट के परिणाम काफी अच्छे हैं। अगर डॉक्टर की सलाह के अनुसार मरीज नियमित दवाएं लेता रहे तो वह सामान्य व्यक्ति की भांति जिंदगी जी सकता है। शादी के पहले लड़का हो या लड़की दोनों की सिकलसेल की जांच अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। इसके लिए समाज को आगे आना होगा। साथ ही अंतरजातीय विवाह से बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं। अंतरजातीय विवाह की स्वीकार्यता होनी चाहिए, खासकर उन समुदायों में जिनमें यह बीमारी पीढ़ियों से घर किए हुए है। इस बीमारी के कुल पॉजिटिव मरीजों में से सिर्फ एक फीसद पीड़ित होते हैं।
ये तमाम बातें 'हैलो नईदुनिया' कार्यक्रम में पहुंचे सिकलसेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़ के महानिदेशक डॉ. अरविंद नेरलवार ने कही। उनका कहना है कि बीमारी को छिपाएं नहीं बताएं और इलाज करवाएं। भले ही सिकलसेल को जड़ से खत्म करने वाली दवा न हो, लेकिन सावधानी-जागरूकता से बीमारी पर जीत संभव है।
सवाल जिनके जवाब आप जानना चाहते हैं-
क्या है सिकलसेल बीमारी-
सिकलसेल रोग पूरी तरह से अनुवांशिक है, जो माता-पिता से उनके बच्चों में होती है। सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं उभयावतल डिस्क के आकार की होती हैं और रक्त वाहिकाओं में आसानी से प्रवाहित होती हैं। इसके उलट सिकलसेल में इनका आकार अर्धचंद्राकर या हंसिये जैसा हो जाता है। ये असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं कठोर और चिपचिपी होती हैं, जो अंगों में खून के प्रवाह में बाधा उत्पन्न करती हैं। खून का प्रभाव अवरुद्ध होने पर शरीर में तेज दर्द होता है। शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचता है।
लक्षण-
- शारीरिक विकास की गति कम होना, वजन और ऊंचाई सामान्य से कम होना।
- सामान्य तौर पर आम बच्चों की तुलना में जल्दी थकावट महसूस होना।
- अत्यधिक खून की कमी और गंभीर एनीमिया।
- पीली त्वचा, रंगहीन नाखून, आंखों में पीलापन होना और नियमित हल्का बुखार बना रहना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- बार-बार पेशाब जाना।
- हड्डियों, मांसपेसियों में दर्द बने रहना। हाथ-पैर में सूजन।
- चिड़चिड़ापन, तिल्ली में सूजन, बांझपन जैसे अन्य कई लक्ष्ण अब तक सामने आ चुके हैं।
क्या है इलाज- अब तक कोई पुख्ता इलाज उपलब्ध नहीं है लेकिन हाईड्रॉक्सीयूरिया अन्य सपोर्टिव दवाओं के साथ काफी कारगर साबित हो रहा है।
कहां मिलेगा इलाज- प्रदेश के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में सिकलसेल जांच की सुविधा उपलब्ध है, जो मुफ्त है। रायपुर स्थित सिकलसेल इंस्टिट्यूट छत्तीसगढ़ में जांच, इलाज, सलाह सब मुहैया करवाई जा रही है।
समझें किससे करें, किससे न करें विवाह-
बोन मेरो ट्रांसप्लांट बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है। मगर जागरूकता इससे बड़ा समाधान है। जिन दो व्यक्तियों की शादी होने जारी रही है, उन्हें अपने खून की जांच अवश्य करानी चाहिए। जिस तरह एचआइवी जांच होती है। एचआइवी एड्स की तरह ही लोगों को सिकलसेल के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। अगर लड़का या लड़की दोनों में से किसी एक को सिकलसेल है तो शादी में दिक्कत नहीं है। उनकी संतान स्वस्थ होगी। लेकिन दोनों को सिकल सेल है तो शादी होनी ही नहीं चाहिए, क्योंकि संतान भी सिकलिक पैदा होगी।
मरीजों को सिर्फ इतनी ही दवा खानी होती है- मरीज को 15-20 मिली ग्राम हाईड्रॉक्सीयूरिया टैबलेट (यह बॉडी वेट के मुताबिक), पांच मिली ग्राम फोलिक एसिड टैबलेट, जिंक और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को पेनिसिलिन की टैबलेट भी दी जाती है।
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ये हैं जांच की संपूर्ण प्रक्रिया-
व्यक्ति का ब्लड सैंपल लिया जाता है, उसका सोलिबिलिटी टेस्ट किया जाता है। निगेटिव आया तो बहुत अच्छा है, पॉजिटिव आने पर एक अन्य टेस्ट एचबी इलेक्ट्रोफोरेसिस करवाया जाता है। यह सुविधा सिकल सेल इंस्टिट्यूट रायपुर में मौजूद है। इसमें तीन तरह के परिणाम आते हैं। पहला 'एए', एएस, एसएस। एसएस का मतलब है कि व्यक्ति बीमारी से ग्रसित है।
क्या है कहते हैं अब तक हुए शोध- सिकल सेल के रोगी मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में सर्वाधिक पाए जाते हैं। माना जाता है इस बीमारी का जन्म अफ्रीकी देशों में हुआ और वहां से ये मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से फैलता चला गया। मुख्य रूप से रोग भूमध्य सागर, मध्य पूर्व और भारत में पाया जाता है। भारत में सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और केरल शामिल हैं।
- सिकलसेल से संबंधित जानकारी के लिए सरकारी टोल फ्री नंबर- 18002332505
- प्रत्येक सरकारी अस्पताल में सिकलसेल जांच की सुविधा है। साल 2013 में राज्य के एक मात्र सिकलसेल इंस्टिट्यूट की स्थापना हुई। 2018 में देवेंद्र नगर चौक रायपुर में इसे आंबेडकर अस्पताल, मेडिकल कॉलेज से अलग स्थान दिया गया, जहां यह संचालित है। रोजाना ओपीडी में 70-80 मरीजों की जांच हो रही है। इन्हें दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं। भर्ती करने की स्थिति में भर्ती भी की जा रही है। मरीजों को सभी सुविधाएं मुफ्त में दी जा रही हैं।
- सिकल सेल से पीड़ित मरीजों को इंस्टिट्यूट और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से एक सिकल कार्ड मुहैया करवाया जाता है। इसके जरिए ट्रेन और बस में यात्रा के दौरान मरीज और उनके एक साथी को शुल्क नहीं लगता। राज्य में सरकार द्वारा यह सुविधा दी गई है।
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डॉ. नेरल ने दिए सवालों के जवाब-
सवाल- मेरे परिचित के व्यक्ति को सिकलसेल है। उन्हें नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाना होता है। - डॉ. अनंत विवेक पांडेय, कांकेर से
जवाब- बीते कुछ वर्षों से जब से हाईड्रॉक्सीयूरिया टैबलेट दी जा रही तब से मरीजों में ब्लड ट्रांसफ्लयूजन करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। 99 फीसद केस में इस दवा के अच्छे परिणाम हैं. आप इंस्टिट्यूट में मरीज को भेज दें, यहां सभी जांच मुफ्त होगी और उचित परामर्श भी दिया जाएगा।
सवाल- सिकलसेल पॉजिटिव आया है। साल भर से शरीर में दर्द भी बना रहता है। - तारा साहू (बदला हुआ नाम), गुरूर जिला बालोद से
जवाब- आपको एएस के कारण कोई तकलीफ नहीं है। जोड़ों का दर्द किसी और कारण से हो सकता है। आप हड्डी रोग विशेषज्ञ से सलाह लें तो बेहतर होगा। आप फोलिक एसिड लेते रहें, इससे कोई नुकसान नहीं होता है। आपको घबराने की कोई बात नहीं है। (पूछे जाने पर तारा ने बताया कि उनके दो बच्चें हैं और दोनों सिकल सेल निगेटिव हैं, डॉ. नेरलवार ने कहा...) आप चिंता न करें। फिर भी लगता है तो रायपुर में सिकल सेल इंस्टिट्यूट में आकर जांच करवा लें।
सवाल- मेरी बच्ची का चार साल की उम्र में सिकलिंग टेस्ट पॉजिटिव आया था, वह अभी कॉलेज में है और पूरी तरह से स्वस्थ है। आगे कोई तकलीफ तो नहीं होगी। - टोमन सिंह, गुंडरदेही से
जवाब- एएस आने पर बच्चों को कोई तकलीफ नहीं होती, आप चिंता न करें। बस इस बात का ध्यान रखें कि शादी करने के पूर्व होने वाले दामाद की सिकलसेल जांच जरूर करवा लें। आखिर हम बेटे-बेटियों के भविष्य के लिए ही तो जांच करवा रहे हैं। सामने वाले समझदार होंगे तो वे कतई मना नहीं करेंगे। जागरूकता से ही यह बीमारी जड़ से खत्म हो सकती है।
सवाल- मुझे दो साल से पूरे शरीर में दर्द होता है, क्या यह सिकलिंग की वजह से है? - चिंतागत साहू, अभनपुर से
जवाब- आप रायपुर स्थित इंस्टिट्यूट में आएं, कुछ टेस्ट करवाने होंगे, जो मुफ्त होंगे। उससे स्पष्ट हो जाएगा कि दर्द की वजह क्या है? जैसा आपने बताया कि आपकी उम्र 43 साल है तो मुझे नहीं लगता कि ये सिकलसेल की वजह से है।
सवाल- मेरा बेटा आठ साल का है। कसडोल में जांच करवाने पर पॉजिटिव आया है। भविष्य में कोई तकलीफ तो नहीं होगी डॉ. साहब? - झमन लाल, बंगबुड़ा लवन से
जवाब- आपको आगे के टेस्ट करवाने होंगे। अभी मैं दवाओं के बारे में बता नहीं सकता कि क्या देना है क्या नहीं? लेकिन स्थानीय सरकारी अस्ताल के डॉक्टर्स ने जो दवाइयां दी हैं उन्हें जारी रखें। रायपुर आकर टेस्ट करवा लें। घबराएं नहीं।
सवाल- डॉक्टर साहब क्या इस बीमारी का कोई इलाज है?- राजीव साहू, हसदा से और सुनील साहू कसडोल से
जवाब- बिल्कुल, बीमारी का इलाज है। जिनसे हम शादी करने जा रहे हैं, रिश्ते जुड़ने के पहले ही सिकलसेल की जांच करवा लें। यही सबसे बड़ी सावधानी है। आप न सिर्फ अपना, बल्कि आने वाली पीढ़ी को इस बीमारी से बचा सकते हैं।
सवाल- सिकलसेल होते हुए भी क्या व्यक्ति सामान्य व्यक्ति की भांति जीवन जी सकता है? - दिलेश्वर साहू, लवन से
जवाब- बिल्कुल जी सकता है, बस उसे ताउम्र नियमित दवाएं लेनी होंगी। छोटी सिकलिंग वालों को कई समस्या नहीं है, उन्हें इलाज की जरूरत नहीं। बड़ी सिकलिंग वाले ही वाहक होते हैं। उन्हें इसकी उपचार की जरूरत पड़ती है, जो मौजूद है।
सवाल- क्या योग के जरिए सिकलसेल बीमारी ठीक हो सकती है? - एसएमएस के जरिए पाठक ने पूछा सवाल
जवाब- नहीं, यह अनुवांशिक बीमारी है इसलिए योग के जरिए ठीक नहीं हो सकती है। इतना जरूर है कि इस दौरान होने वाली शारीरिक और मानसिक पीड़ा को कम किया जा सकता है। योग करें, साथ में दवाएं भी लें।