संदीप तिवारी, रायपुर। Sakshar Bharat Abhiyan: पढ़ना-लिखना अभियान के तहत केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को ढाई लाख लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य दिया था। इसमें केंद्र सरकार ने अपनी ओर से 60 फीसद राशि भी दे दी है, लेकिन राज्य सरकार के एक अफसर की हठधर्मिता और वित्त विभाग की अनदेखी व उपेक्षा से राज्य का राज्यांश जारी नहीं हो सका है।
नतीजा यह हो रहा है कि साक्षर अभियान अभी तक शुरू नहीं हो पाया। साक्षर भारत अभियान में छत्तीसगढ़ के उत्कृष्ट कार्यों को लेकर केंद्र सरकार से सराहना और पुरस्कार मिल चुके हैं। इसके बावजूद शिक्षा के उच्चाधिकारी की हठधर्मिंता से पुरस्कार तो दूर, समय पर कार्यक्रम की शुरुआत तक नहीं होने की चर्चा है। सरकार ने साक्षरता मिशन में जिस अफसर को नियुक्त कर रखा है, वह बेहद कनिष्ठ हैं और वरिष्ठ अफसर कुछ ज्यादा वरिष्ठ हैं। इसके कारण तालमेल नहीं बैठ पा रहा है।
धरी रह गई राजनीतिक एप्रोच
कहते हैं, राजनीति में सब कुछ जायज है। इसमें अक्सर सियासी मोहरे अफसर बनते हैं, वे जनप्रतिनिधियों के चंगुल में फंसकर अपनी कलम भी फंसा देते हैं। कई बार सियासतदार अपने ओहदे का दुरुपयोग भी करते हैं। छत्तीसगढ़ में एक शिक्षा अफसर की नौकरी खत्म होने के बाद उसे संविदा दिलाने के लिए एक महिला सांसद लगातार एप्रोच लगाती रहीं। बार-बार राजनीतिक एप्रोच से शिक्षा के अफसर भी परेशान थे। जिस अफसर के लिए राजनीतिक एप्रोच लगा रहे थे, उसके कारनामे से सहयोगी जनप्रतिनिधि भी चर्चा में हैं। चर्चा है कि एक बड़े बंगले में पहुंची राजनीतिक एप्रोच को अब सिरे से नकार दिया गया है। ऐसे में राजनीतिक एप्रोच धरी की धरी रह गई। चर्चा है कि कई बार गलत व्यक्ति के लिए निर्णय सही है या नहीं, इसे लेकर आत्ममंथन करना चाहिए। ऐसा नहीं होने से दूसरे का दाग खुद पर लगता है।
पर्चे के गड़बड़झाले में अफसर
सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए प्रश्न पत्र छापने में भर्राशाही की यह कहानी दूसरों से जुदा है। सत्र 2018-19 में पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चों के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने प्रश्न पत्र तैयार किया था। प्रश्न पत्र मेल के जरिए के जरिए जिलों को भेजा गया था। जिलों में इसके लिए अलग से भुगतान किया गया और छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम से भी करीब आठ करोड़ रुपये का पर्चा छपवाकर भुगतान किया गया। दिलचस्प बात यह है कि पर्चे के इस गड़बड़झाले को छुपाने के लिए एससीईआरटी ने आठ करोड़ की राशि निगम को भेजी थी, पाठ्यपुस्तक निगम में इस रकम के भुगतान करने के लिए बैंक में एक अलग खाता खोला गया और इसके भुगतान के आय-व्यय का ब्योरा कागज पर नहीं है। निगम के वार्षिक लेखा के ओपनिंग और क्लोजिंग बैलेंस मैच नहीं हो रहे हैं।
फर्नीचर से लेकर बर्तन घोटाला तक
प्रदेश के कुछ जिलों के शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की कई शिकायतें हैं, पर उन शिकायतों में से एक शिकायत राजनांदगांव के शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम के खिलाफ है। उन पर फर्नीचर घोटाला, ट्रांसफर घोटाला और अब बर्तन घोटाला करने की शिकायत हुई है। इन शिकायतों को एक बार फिर नजरअंदाज किया जा रहा है। न ही जिला प्रशासन और न ही राज्य शासन ने अभी तक कोई कार्रवाई की है। इससे ऐसे अफसरों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। बताया जाता है कि हेतराम सोम एक मंत्री के बेहद करीबी हैं। शायद इसका लाभ उन्हें मिल रहा है, मगर सरकार की छवि खराब हो रही है। इसके पहले कोरबा के डीईओ भ्रष्टाचार और विवादों के कारण सुर्खियों में रह चुके हैं। जिला पंचायत कोरबा की उपाध्यक्ष रीना अजय जायसवाल ने इस अधिकारी के खिलाफ कई शिकायतें सूबे के मुखिया से की हैं।