राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: राज्य शासन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अधिकारियों व कर्मचारियों के हड़ताल पर सख्त रूख अपनाया है। हड़ताल पर गए कर्मियों को इस माह की अनुपस्थिति अवधि का वेतन काटने और सेवा से बर्खास्त करने कारण बताओ नोटिस देने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएमएचओ) को आदेश जारी किया है।
हड़ताल को अवैध और अनुशासनहीन बताया गया है। स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि 18 अगस्त से अनुपस्थित एनएचएम के सभी कर्मियों की जानकारी तत्काल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य कार्यालय में भेजा जाए। कारण बताओ नोटिस में स्पष्ट उल्लेखित किया जाए कि उपस्थिति नहीं दिए जाने पर सेवा से पृथक किया जा सकता है। साथ ही कार्य नहीं वेतन नहीं कि सिद्धांत का पालन करते हुए अनुपस्थित अवधि का वेतन आहरित नहीं किया जाए।
प्रदेश के सभी सीएमएचओ को निर्देशों का सख्ती से पालने करने के निर्देश दिए गए हैं। एनएचएम के तहत प्रदेश में करीब 16,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। इनके हड़ताल का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ताला लटक गया है। छोटी-मोटी बीमारियों की जांच व इलाज के लिए मरीज व स्वजन आंबेडकर अस्पताल और एम्स जाने के लिए मजबूर हैं। अस्पतालों पर मरीजों का दबाव बढ़ने से डाक्टर भी परेशान हैं।
दस सूत्रीय मांगों को लेकर कर्मी 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने कहा कि 10 सूत्रीय मांगों पर जब तक लिखित आदेश जारी नहीं होते, आंदोलन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने भी 25 अगस्त को आदेश जारी कर सभी सीएमएचओ से अनुपस्थित कर्मियों की जानकारी मांगी थी। आदेश में कहा गया था कि 13 अगस्त को स्टेट हेल्थ सोसायटी की कार्यकारिणी समिति की बैठक में कर्मियों के अधिकांश मांगों पर निर्णय लिया गया था और आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए गए थे। फिर भी कई जिलों में कर्मचारी व अधिकारी कार्यालय नहीं पहुंचे हैं, जो लाेकहित के विरूद्ध व अनुचित है।