रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
केंद्रीय बजट में संगठित और असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों की माली हालत सुधारने के लिए सराहनीय पहल की गई है। यह जिले के चार लाख असंगठित और 20 लाख से अधिक संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए वरदान साबित होगा। इसमें खास है कि अभी तक अचानक मौत होने पर श्रमिकों के आश्रितों को एक लाख रुपए देने का प्रावधान था। अब इसकी सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दी गई है। लेकिन ऐसे मजूदर जो श्रम विभाग में पंजीकृत होंगे, उन्हीं को ये लाभ मिलेगा। इसके साथ ही संगठित क्षेत्र के श्रमिक जो संविदा पर सरकारी और गैर सरकारी संगठनों में कार्य करते हैं। इनको केंद्र के जारी सकुर्लर के हिसाब से लाभ दिया जाएगा। वहीं संगठित क्षेत्र के श्रमिकों की गे्रच्युटी दस लाख से बढ़ाकर बीस लाख रुपए कर दी गई है। वहीं पेंशन स्कीम के तहत तीन हजार रुपये पेंशन लागू की गई है।
--ट्रेंड यूनियन के पदाधिकारी नाखुश
केंद्र सरकार की घोषणा पर छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियन नाखुश हैं। उनकी मांग है कि श्रमिकों की अचानक मौत पर 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए। प्रदेश का सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन अखिल भारतीय छत्तीसगढ़ कर्मचारी फेडरेशन से 12 लाख श्रमिक जुड़े हैं। इसमें संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक सदस्य हैं। फेडरशन के प्रदेश महासचिव नरेंद्र चंद्राकर ने कहा कि ये स्थाई नहीं बल्कि चुनावी मौसम में दी गई राहत है। रही बात बोनस की तो वह तो अस्थाई है। क्योंकि कंपनी के लाभांश पर ही कर्मचारियों को बोनस दिया जाता है। वैसे भी संगठित क्षेत्र के संस्थान लाभांश की स्थिति दिखाते नहीं हैं। ताकि कर्मचारियों को बोनस न देना पड़े।
---बोले, चुनावी घोषणा है, कोई खास लाभ नहीं होगा
ट्रेड यूनियन और तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ अध्यक्ष राकेश साहू ने कहा कि यह श्रमिकों के लिए हमारे द्वारा पूर्व में की गई मांगों के अनुरूप नहीं है। इस राहत का लाभ तभी मिलेगा जब शासन असंगठित श्रमिकों को पंजीकृत कराए। क्योंकि आज भी सूदूर इलाकों में बड़ी संख्या में मजदूर पंजीकृत नहीं हैं।