
नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। कबड्डी मेरे लिए सिर्फ खेल नहीं कुछ कर गुजरने की उम्मीद है। यह कहती संजू देवी में वही प्रभाव दिखता है, जिसके बलबूते वह महिला वर्ल्ड कप में दमदार प्रदर्शन तक पहुंची। अब उनकी निगाहें एशियन गेम्स पर टिकी हैं। तेलंगाना में होने वाले नेशनल गेम्स में वे छत्तीसगढ़ की ओर से उतरेंगी।
वर्ल्ड कप में 13 रेड कर 16 अंक हासिल करने वाली संजू अब उस मुकाम पर हैं, जहां गांव की तंग गलियों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने की कहानी खुद अपने दम पर लिख रही हैं।
संजू ने नईदुनिया से कहा- मेरे माता-पिता ने अभावों में भी मेरे सपनों को जिंदा रखा। अब मेरी बारी है कि मैं उनके त्याग को जीत में बदलूं। एशियन गेम्स में तिरंगा फहराना ही अब सबसे बड़ा सपना है। लड़की होकर कबड्डी खेल रही हूं, इस वजह से समाज में बहुत ताने सुनने पड़े। कई लोगों ने तो कहा कि इससे क्या मिलेगा, पढ़-लिखकर घर संभालो। पर मेरे माता-पिता हर बार ढाल बनकर खड़े रहे।
अगर मैं हार मान लेती, तो शायद आज भी गांव में ही छिपकर सपने देख रही होती। जूते टूट जाते थे तो पिता जी अपने लिए नए कपड़े नहीं खरीदते थे, मेरे जूते ले आते थे। मैट पर प्रैक्टिस करनी होती तो मां दो दिन ज्यादा काम कर लेती थीं।
संजू ने लड़कियों के लिए बेहद भावुक संदेश देते हुए कहा शुरुआत में असफलता जरूर मिलेगी। कभी गिरोगी, कभी चोट लगेगी, लेकिन हिम्मत मत हारो। एक दिन वही लोग तुम्हें देखकर गर्व महसूस करेंगे, जो कभी तुम्हारे बारे में गलत बातें करते थे। मेरे मां व पिता रोजी-मजदूरी करते हैं। कबड्डी की शुरुआती ट्रेनिंग भी बिना किसी स्पेशल डाइट के की।
संजू कहती हैं कि अब उनके लक्ष्य और बड़े हैं। अगर सरकार मुझे एक अच्छी सरकारी नौकरी का अवसर दे दे, तो घर की आर्थिक तकलीफ कम होगी। आगे बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए बेहतर ट्रेनिंग, डाइट और संसाधनों की जरूरत पड़ेगी।
मैं भारत के लिए और भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहती हूं। उन्होंने बताया कि वर्ल्ड कप के बाद परिवार की उम्मीदें बढ़ गई हैं, लेकिन खर्च भी। एशियन गेम्स की तैयारी के लिए उन्हें बेहतर सुविधाओं और प्रोफेशनल कोचिंग की जरूरत है।
संजू बुधवार को स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर पहुंचीं, जहां खेल प्रेमियों और प्रशंसकों ने उनका उत्साहपूर्वक स्वागत किया। इस दौरान भारत माता की जय के नारे गूंजते रहे। अभी वह अकादमी कोच के प्रोटोकाल का पालन करते हुए रायपुर में ही रहेंगी। इसके बाद वे अपने केराकछार पहुंचेंगी, जहां उनके भव्य स्वागत की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।