रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
अध्यात्म योगी महेंद्र सागर महाराज साहब के पावन सानिध्य में श्री जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी, एमजी रोड में पिछले कई दिनों से चातुर्मासिक प्रवचन चल रहा है। गुरुवार को 'पाप मुक्ति सेजीवन शुद्धि के उपाय' विषय पर युवा मनीषी मनीष सागरजी महाराज ने 18 पापों की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सुख का सागर केवल एक आत्मा ही है। प्रभु परमात्मा के पास केवल एक ही कीमती चीज थी और वह है परम शांति, सर्वोच्च शांति। उनकी शांति का एक ही राज था अपरिग्रह। उन्होंने 'पर' का त्याग कर दिया और 'स्व' को ग्रहण कर लिया। सुख का सागर है आत्मा। सुख कस्तूरी मृग की भांति हमारे ही भीतर है, फिर भी हम उसे संसार में ढूंढ़ रहे हैं। आज तक आपने कितने मोबाइल, कितनी कार और कितने ही घर बदले, यह बदलाव ही तुम्हें बता रहा है कि इन सब में सुख नहीं है। आप सोचते हैं कि इनमें सुख नहीं, शायद नए में सुख मिलेगा।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को सुबह नौ से 10 बजे तक एसी की याद नहीं आती, मगर 10 से आठ बजे तक उसे एसी के बिना रहा नहीं जाता। यह क्या है, केवल उसकी सोच का परिणाम। बारिश के मौसम में भी यदि एक बच्चा कहता है कि उसे गर्मी लग रही है तो यह उसकी लादी गई प्रवृत्ति का ही परिणाम है। पक्षी कभी बारिश, ठंड, गर्मी से घबराते क्यों नहीं, क्योंकि उन्होंने हर मौसम में प्रकृति के साथ रहकर जीना सीख लिया है।
तपस्वियों का हुआ सम्मान
श्री जैन श्वेताम्बर चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार संयोजक तरुण कोचर व नीलेश गोलछा ने बताया कि 68 दिवसीय वृहद नवकार तप अनेक श्रद्धालुओं द्वारा निरंतर जारी है। बड़ी तपस्या के क्रम में श्रीसंघ की ओर से भूमि कांकरिया व कोहिना जैन-बैदमुथा का बहुमान किया गया। आयम्बिली की तपस्विनी सुरेखा पाटनी का बहुमान हुआ।
मुनिश्री ने कहा, मनुष्य के पास जीवन जीने के दो विकल्प हैं, एक इच्छा आधारित कार्य और दूसरा आवश्यकता आधारित कार्य। इस दुनिया में वास्तव में सुखी वही है जो आवश्यकता आधारित कार्य ही करता है। जितनी आवश्यकता है, केवल उसी सीमा तक कार्य करता है। इच्छा पहले जीवन में आगंतुक की तरह आती है फिर अतिथि बनकर मन के सिंहासन पर बैठती है और उसके बाद वह मन की मालिक बनकर राज करने लग जाती है। यदि इच्छाओं की पूर्ति करने में लगे रहे तो इच्छाएं अनंत गुना बढ़कर व्यक्ति को भटकाव और अतृप्ति के दलदल में फंसाते ही चली जाएंगी। इसीलिए कहा गया है कि इच्छा की गाड़ी में एक्सीलेटर के साथ ब्रेक का होना भी जरूरी है।