नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: राजधानी में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन नगर निगम उनकी रोकथाम के लिए बनाए गए शेल्टर हाउस (Shelter House) को चालू कराने के लिए अब तक डॉक्टर तक नहीं खोज पाया है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से सोनडोंगरी में तैयार हुआ डॉग शेल्टर पिछले दो साल से अधूरा पड़ा है। जबकि इस सेंटर में 150 कुत्तों को रखने, नसबंदी आपरेशन थिएटर और क्रीमेशन की सुविधा मौजूद है। संचालन के लिए एनजीओ का चयन भी हो चुका है, मगर चिकित्सकों की नियुक्ति न होने से यह अब तक शुरू नहीं हो सका है।
हालात यह हैं कि आंबेडकर और जिला अस्पताल में रोजाना 100 से अधिक लोग कुत्तों के काटने के शिकार होकर पहुंच रहे हैं। बीते छह महीनों में मेकाहारा अस्पताल में 1764 और हमर अस्पताल समेत अन्य केंद्रों में केवल एक महीने में 1200 से ज्यादा मामले दर्ज हुए। कई पीड़ितों की हालत इतनी गंभीर रही कि रेबीज के डर से आत्महत्या तक कर ली। मानव अधिकार आयोग के अनुसार, 2023 में पूरे प्रदेश में 1.20 लाख लोग डॉग बाइट का शिकार हुए, जिनमें अकेले रायपुर से 51 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए।
विधानसभा सत्र के दौरान बीजेपी विधायक सुनील सोनी ने डॉग बाइट्स और शेल्टर की स्थिति पर सवाल उठाए थे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवाब में बताया कि बीते तीन साल में 51,730 मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि निगम की ओर से डॉग शेल्टर का निर्माण किया जा रहा है और नसबंदी व टीकाकरण अभियान तेज किया गया है।
खूंखार, बीमार और घायल कुत्तों को डॉग शेल्टर हाउस में रखने का प्लान दो साल पहले बनाया गया था। वह सेंटर अब सोनडोंगरी में डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ है। इस डॉग सेंटर के संचालन के लिए एनजीओ के चयन की भी प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन चिकित्सकों की व्यवस्था नगर निगम नहीं कर पाया है। इसलि सोनडोंगरी का डॉग शेल्टर हाउस चालू नहीं हो पा रहा है। जबकि इस शेल्टर हाउस में मोहल्ले और कालोनियों से 150 से अधिक खूंखार, बीमार, सड़क दुर्घटना में घायल हुए कुत्तों को रखने की व्यवस्था है।
आंबेडकर अस्पताल में रोजाना 40 से अधिक मामले दर्ज हो रहे हैं। पिछले छह महीने में मेकाहारा अस्पताल में 1764 और हमर अस्पताल समेत अन्य केंद्रों में महज एक महीने में 1200 से अधिक डॉग बाइट केस सामने आए। कई मामलों में स्थिति इतनी गंभीर रही कि रेबीज के प्रभाव में मरीज ने आत्महत्या तक कर ली।
आवारा कुत्ते अब राजधानी के लिए गंभीर चुनौती बन गए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद जहां डॉग लवर्स राहत महसूस कर रहे हैं, वहीं नगर निगम और प्रशासन के सामने नसबंदी व नियंत्रण सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनकर खड़ी है।
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नगर निगम रायपुर के महापौर मीनल चौबे ने बताया कि शेल्टर हाउस के लिए एक NGO को फाइनल कर लिया गया है। लेकिन जितने मात्रा में कुत्ते हैं उसके आधार पर नसबंदी बहुत कम हुई है। हमारा प्रयास है की ज्यादा से ज्यादा कुत्तों का नसबंदी किया जाए।