रायपुर।( नईदुनिया प्रतिनिधि) प्रदेशभर के दस हजार वन कर्मचारी आज से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से वनों की सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है।

कर्मचारियों ने सरकार से 12 सूत्रीय मांग की गई थी, लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं है। हड़ताल पर जाने से पहले वन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी से मुलाकात की थी, लेकिन ज्यादातर मांगों पर सहमति नहीं बनी। उसके बाद छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ ने 21 मार्च से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था।

बता दें कि छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ द्वारा बीटगार्ड, वनपाल उपवन क्षेत्रपाल और वन क्षेत्रपाल के पद नाम में संशोधन करने की मांग किया था। जिसे वन विभाग ने संसोधन किया है। संसोधन के बाद अब वन रक्षक और बीटगार्ड को फारेस्ट आफिसर, वनपाल को सर्किल फारेस्ट आफिसर, उप वनक्षेत्रपाल को सीनियर सर्किल फारेस्ट आफिसर और वन क्षेत्रपाल को रेंज फारेस्ट आफिसर के नाम से जाना जाएगा।

छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ पवन पिल्ले मिडिया प्रभारी ने कहा, छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के बैनर तले 21 मार्च 2022 से प्रदेशभर के करीब 10 हजार कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।

जानिए क्या है मांग

मांग पर पदनाम के साथ ही वन रक्षक का वेतनमान वर्ष 2003 से 3050 किया जाए।

- वनरक्षक, वनपाल का वेतनमान मांग अनुसार किया जाए।

- पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।

- छत्तीसगड़ राज्य गठन के पश्चात नाय सेटअफ पुनरीक्षण किया जाए

- महाराष्ट्र सरकार की तरह 5000 रुपये, पैस्टिक आहार और वर्दीभत्ता दिया जाए

- पदनाम वर्दी हेतु संबंधित नाम अन्य पहचान निर्धारण आदेश जारी किया जाए

- वनोपज संघ के कार्य हेतु एक माह अतिरिक्त वेतन दिया जाए

- काष्ठ वनोपज प्रदाय से कमी मात्रा की वसूली निरस्त किया जाए

- विभागीय पर्यटन स्थल में वन कर्मचारियों एवं सेवानिवृत्ति वन कर्मचारियों को नि: शुल्क प्रवेश दिया जाए।

- वनपाल प्रशिक्षण अवधि 45 दिन किया जाए। वनपाल प्रशिक्षण केन्द्र कोनी (बिलासपुर) प्रारंभ किया जाए।

- भृत्य, वानिकी चौकीदार का समायोजन किया जाए।

- दैनिक वेतन भोगी श्रमिको को नियमित किया जाए।

Posted By: Kadir Khan

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