रायपुर। नईदुनिय प्रतिनिधि
मुहर्रम का महीना चल रहा है। इसे इमामे हुसैन के महीने के नाम से भी जाना जाता है। इस महीनेको मुस्लिम समुदाय के लोग अकीदत के साथ मनाते हैं। दसवीं तारीख को मुस्लिम समुदाय के कई जमात के लोग ताजिया के साथ मातमी जुलूस निकालते हैं। इसकी तैयारी जोरों पर हैं। राजधानी में कई जगहों पर ताजिया बनाया जा रहा है। मोमिन पारा में शिआ असना अशरी जमात के लोग पिछले डेढ़ महीने से ताजिया बना रहे हैं, जो लगभग तैयार हो गया है। इसे नौ तारीख की रात को जुलूस के साथ घुमाया जाएगा।
मोमिन पारा निवासी सिकंदर हुसैन ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने से तीन से चार लोग ताजिया बनाने में लगे हैं। नौ सितंबर तक यह तैयार हो जाएगा और बाहर निकालकर बिठाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ताजिया को बांस और पेपर से तैयार किया जा रहा है। इसमें बारीक कारीगरी की गई है। बता दें कि मोमिन पारा में ऐसे ही 25-30 ताजिया बनाये जा रहे हैं, जिन्हें दसवीं तारीख को जुलूस के साथ निकाला जाएगा।
20 फीट लंबा और 18 फीट चौड़ा
ताजिया के कारीगर सिकंदर हुसैन ने बयाता कि पहले बांस लाया गया और तराशकर बारीक किया गया। फिर उसे काली मिट्टी और धागे के सहारे बांधकर फ्रेम तैयार कर ऊपर से कई प्रकार के कागज से ताजिया बनाया जा रहा है। इसमें नक्काशी की गई है। ताजिया 20 फीट लंबा और 18 फीट चौड़ा है।
यह है मान्यता
मुहर्रम का महीना बहुत ही परहेजगारी का महीना है। इससे जुड़ी कई मान्यताएं हैं। जैसे ताजिया के नीचे से गुजरने की मान्यता है। हालांकि इस्लाम में कहीं भी जिक्र नहीं है। लेकिन कुछ लोग इसे मानते आ रहे हैं। लोगों का मानना है कि ताजिया के नीचे से गुजरने से मांगी मुराद पूरी होती है और सारे पाप धुल जाते हैं। इस पर सभी कौम के लोग आस्था रखते हैं।