रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। गैंगरीन के कारण सड़ रहीं पैर की अंगुलियों को आंबेडकर अस्पताल में इलाज कर बिना किसी चीर-फाड़ ही ठीक कर दिया गया। रेडियोलाजी विभाग में हुए इलाज में सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी स्टंटिंग (एसएफए स्टंटिंग) प्रक्रिया से 23 सेंटीमीटर तक ब्लाक हो चुके सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी को खोलकर पैर को सुरक्षित बचाया गया है। चिकित्सकों ने बताया कि बेमेतरा निवासी 65 वर्षीय बुजुर्ग की गैंगरीन की वजह बाएं पैर की अंगुलियां और पंजे काले पड़कर सड़ने लगे थे। मरीज को रेस्ट पेन होता था यानी बैठे-बैठे पैर में झनझनाहट महसूस होती थी। इस बीमारी को डाक्टरी भाषा में लेफ्ट सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी थ्राम्बोसिस विद लेफ्ट टो गैंगरीन कहते हैं। मरीज कई इलाज के बाद आंबेडकर अस्पताल के रेडियोलाजी विभाग पहुंचा। यहां जांच में बुजुर्ग की सोनोग्राफी, सीटी एंजियोग्राफी हुई। इसमें सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी के ब्लाक होने की जानकारी मिली। 21 जनवरी को एसएफए स्टंटिंग की गई। रेडियोलाजी विभागाध्यक्ष डा. एसबीएस नेताम के मार्गदर्शन में इंटरवेंशन रेडियोलाजिस्ट डा. विवेक पात्रे ने डीएसए मशीन के जरिए बिना चीर-फाड़ के एसएफए स्टंटिंग के बाद पैर में खून की सप्लाई पुनः प्रारंभ कर दी। इलाज करने वाली टीम में रेडियोलाजी विभागाध्यक्ष डा. एसबीएस नेताम, डा. विवेक पात्रे के साथ डा. मनोज, डा. दिनेश, एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष डा. केके सहारे, डा. अशोक सिंह सिदार, डा. अंकिता शामिल थे।
इलाज की यह थी प्रक्रिया
डा. पात्रे ने बताया कि सबसे पहले सुई की नोक के बराबर (पिनहोल) छेद के माध्यम से दाहिनी जांघ की फीमोरल आर्टरी को पंक्चर किया। पंक्चर करके लेफ्ट फीमोरल आर्टरी तक पहुंचे। राइट फीमोरल आर्टरी से कामन इलियक आर्टरी तक गए। एओर्टा को क्रास करते हुए दूसरी तरफ चले गए। वहां से दवाई डालकर देखा कि रुकावट कहां पर है। सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी के ब्लाक होने व रुकावट के कारण खून का बहाव आजू-बाजू की नसों से होने लगा था। उस रुकावट को वायर और कैथेटर नली की मदद से क्रास किया। नीचे के पाप्लिटियल आर्टरी तक गए। फिर ब्लाक वाले एरिया में दो स्टंट डाला और फिर उसको बैलून की मदद से खोल दिया। इससे रक्त का प्रवाह पुनः मुख्य धमनी में चालू हो गया।
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इस तरह होती है गैंगरीन की बीमारी
डा. पात्रे ने बताया कि तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, अनियंत्रित मधुमेह, एथेरेस्केलोसिस और वैस्कुलाइटिस के कारण रक्त धमनी प्लाक बन जाती है। इससे इस धमनी में रुकावट आ जाती है। रुकावट बढ़ने के कारण पैर में रक्त की सप्लाई बाधित होने लगती है। एक समय ऐसा आता है, जब धमनी पूर्णतः बंद हो जाती है और पैरों में गैंगरीन (एक तरह से उतकों की मृत्यु से होने वाली सड़न) होना प्रारंभ हो जाता है।
वर्जन
आंबेडकर अस्पताल के रेडियोलाजी विभाग में आर्टरी यानी धमनी से संबधित समस्त प्रकार की समस्याओं की जांच व उनका निदान हो रहा है। धमनी से संबंधित बीमारी जैसे आट्रियल थ्रांब्रोसिस, एंयुरिज्म, स्यूडो एंयुरिज्म, एवी मालफार्मेशन आदि इन सभी बीमारियों की जांच एवं इलाज की सुविधा यहां उपलब्ध है। इसके अलावा शिराओं से संबंधित विकारों की जांच एवं इलाज यहां पर हो रहे हैं।
- डा. एसबीएस नेताम, विभागाध्यक्ष, रेडियोलाजी, आंबेडकर अस्पताल