रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया है। यह अध्यादेश जारी होगा या नहीं, यह राजभवन के स्र्ख पर निर्भर करेगा। वजह यह है कि सरकार ने अप्रत्यक्ष चुनाव के साथ ही मतदान के लिए ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर का उपयोग करने का फैसला किया है।
मध्यप्रदेश सरकार ने भी निकाय चुनाव अधिनियम में संशोधन किया
मध्यप्रदेश सरकार ने भी निकाय चुनाव अधिनियम में संशोधन किया है, लेकिन वहां मतदान ईवीएम से ही होगा। इसके बावजूद अध्यादेश को राजभवन से मंजूरी मिलने में करीब चार दिन का वक्त लग गया था।
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एमपी में अध्यादेश को मंजूरी मिलते ही सरकार ने यहां भी अप्रत्यक्ष चुनाव कराने का फैसला कर लिया था।
बड़ा अंतर मतदान के लिए बैलेट और ईवीएम के उपयोग को लेकर
मंत्रिमंडलीय उपसमिति के माध्यम से उस फैसले की प्रक्रिया को पूरी की गई है। दोनों राज्यों के फैसले में एक बड़ा अंतर मतदान के लिए बैलेट और ईवीएम के उपयोग को लेकर है। सूत्रों के अनुसार इसी वजह से सरकार की भी चिंता बढ़ी हुई है।
रमन की मुलाकात से अटकलों का दौर
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सोमवार को राजभवन गए थे। उन्होंने करीब एक घंटें तक राज्यपाल अनुसुईया उइके से चर्चा की। सरकार के इस फैसले के ठीक एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री की इस लंबी मुलाकात को लेकर भी कई तरह की अटकले लगनी शुरू हो गई हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार के इन दोनों फैसले के विरोध में है।
सौ टन से अधिक कागज का होगा उपयोग
राज्य में 10 नगर निगम समेत 155 निकायों के लिए मतदान होना है। इनमें करीब तीन हजार से अधिक पार्षदों के लिए करीब एक करोड़ से अधिक वोटर मतदान करेंगे। ऐसे में सरकार को उतना ही बैलेट पेपर छपवाना पड़ेगा। जानकारों के अनुसार इतना बैलेट पेपर छपवाने के लिए लगभग सौ टन कागज की जस्र्रत पड़ेगी।