रायपुर (राज्य ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ के सभी विभागों के अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के लिए गठित समिति तीन वर्ष से इस मामले में मौन है। राज्य सरकार ने 11 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। समिति ने प्रदेश के सरकारी विभागों के कार्यालय, निगम, मंडल आयोग और संस्था में पहले से कार्यरत अनियमित दैनिक वेतनभोगी और संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों की जानकारी ली है। मगर नियमितीकरण को लेकर कोई सिफारिश नहीं हो पाई।
अभी तक राज्य सरकार के पास करीब पौन लाख अनियमिति कर्मचारियों की जानकारी आई है जबकि कर्मचारी संगठनों का दावा है कि प्रदेश में डेढ़ से पौने दो लाख कर्मचारियों को नियमितीकरण का इंतजार है। संगठनों के अनुसार सरकार यदि 40 प्रतिशत वेतन बढ़ा दे तो वे नियमित हो सकते हैं। अभी सरकार उन्हें 60 प्रतिशत वेतन दे रही है। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में ही दैनिक वेतनभोगी व अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया है। अनियमित कर्मचारी सरकार बनने के बाद से नियमितीकरण की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
विधानसभा में नियमितीकरण पर बार-बार दे रहे ये जवाब
जुलाई 2021 में हुए विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा था कि अनियमित, संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को रिक्त पद पर नियमितीकरण की कार्यवाही की जाएगी। किसी की भी छंटनी नहीं की जाएगी। नियमितीकरण के संबंध में प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग विभाग की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। इस सवाल का जवाब खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिया। उन्होंने कहा- जन घोषणा-पत्र में नियमितीकरण का वादा किया गया था। इसी तरह जुलाई 2022 में भी राज्य सरकार ने विधानसभा में जवाब दिया है कि 11 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग की अध्यक्षता में गठित समिति सिफारिश आएगी। समिति ने प्रदेश के सरकारी विभागों के कार्यालय, निगम-मंडल, आयोगों और अन्य संस्था में पहले से कार्यरत अनियमित दैनिक वेतनभोगी और संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों की जानकारी ली है। नियमितीकरण करने के मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ने विधि एवं विधायी कार्य विभाग से सलाह भी मांगी है। महाधिवक्ता का अभिमत सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा है। फिलहाल अभिमत का ही इंतजार है।
ये कहलाते हैं अनियमिति कर्मचारी
छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश संरक्षक विजय कुमार झा के अनुसार जो भी कर्मचारी सरकारी कार्यालयों में काम करते हैं, राज्य सरकार के राजकोष से वेतन ले रहे हैं, चाहे वे नियमित हैं या फिर अनियमित, सभी सरकारी कर्मचारी ही माने जाएंगे। प्लेसमेंट, संविदा कर्मी से लेकर कई तरह के कर्मी हैं। राज्य सरकार के अनुसार एक जनवरी 2019 से 30 जून 2022 तक छत्तीसगढ़ शासन के प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनियमित, संविदा, दैनिक वेतनभोगी के 25 कर्मचारियों का नियमितीकरण किया गया है। ऐसे में बाकी कर्मियों में भी नियमितीकरण की उम्मीद जागी है।
इन्हें नियमितीकरण नहीं, उचित वेतन चाहिए
छत्तीसगढ़ अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोष खांडेकर के नेतृत्व में प्रदेश के 47 हजार स्कूलों के सफाईकर्मी लगातार आंदोलनरत हैं। ये कर्मचारी नियमित करने की मांग नहीं करते हैं, लेकिन उचित वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनका कहना है कि वर्तमान में उन्हें 2,300 रुपये प्रतिमाह तक मिलता है। इन्हें कम से कम 10 हजार रुपये दिया जाए। इनकी मांग है कि उन्हें अंशकालीन से पूर्णकालीन कर दिया जाए। खांडेकर ने बताया कि सरकार ने केवल 300 रुपये ही बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके विरोध में प्रदेश के सफाईकर्मी 24 अगस्त को एक बार फिर राजधानी में जुटेंगे और आगे के आंदोलन की रणनीति बनाएंगे।
रसोइया कर रहे नियमितीकरण की मांग
छत्तीसगढ़ मध्याह्न भोजन रसोइया संघ की अध्यक्ष नीलू ओगरे ने बताया कि प्रदेश में 80 हजार से अधिक रसोइया कर्मचारी हैं, जिन्हें प्रतिमाह 1,500 रुपये मानदेय मिलता है। उनकी मांग है कि सरकार नियमित करे और कम से कम कलेक्ट्रेट दर पर 10 हजार रुपये मानदेय दे। उन्होंने कहा है कि ऐसा नहीं होता है तो पांच सितंबर शिक्षक दिवस के दिन भूख हड़ताल कर उग्र आंदोलन करेंगे।
समिति के अध्यक्ष अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण व प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने कहा, अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के लिए राज्य सरकार ने समिति गठित कर रखी है। वह इस विषय पर काम कर रही है। जो भी कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे, उनके नियमितीकरण की प्रक्रिया की जाएगी। अब तक हमने सिफारिश नहीं दी है। मामला प्रक्रियाधीन है।
कर्मचारियों की नियमित भर्ती होनी चाहिए
छत्तीसगढ़ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता आरएन गुप्ता ने कहा, 1980 के बाद सरकारों ने नियमित भर्ती करने की प्रक्रिया बंद कर दी है। इसके बाद नए-नए कार्यालय तो खोले गए पर नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई। लगभग सभी विभागों में अनियमित कर्मचारियों की मदद से कामकाज हो रहा है। सरकार को इन कर्मचारियों के हित में सोचना चाहिए। इनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। 2008 में भाजपा की सरकार में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के लिए समिति बनी थी। इसमें आइएएस अफसर एमके राउत अध्यक्ष थे। उस समय पदों की संख्या देनी थी। 1988 के पहले नियुक्त कर्मियों को नियमित करने का निर्णय लिया गया था। अभी सरकार को जो कर्मी जिस पद के अनुकूल हैं, उनके अनुसार नियमित किया जा सकता है।
क्या कहते हैं आंकड़े
1.50 से दो लाख तक कर्मचारी कर रहे नियमितीकरण की मांग
11 दिसंबर 2019 को गठित हुई थी अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण की समिति
75 हजार कर्मियों की सूची अब तक पहुंची सरकार के पास
40 प्रतिशत वेतन बढ़ाने पर हो सकता है नियमितीकरण
1980 के बाद सरकारों ने नियमित भर्ती करना कर दिया था बंद