आधे टूटे दांत से परेशान मरीजों के लिए अच्छी खबर, अब इस नई तकनीक से मिलेगी राहत
राजधानी के शासकीय डेंटल कालेज में साकेट सील तकनीक से मरीजों के ऐसे आधे टूट व हिलते दांत बचाए जा रहे हैं, जिसमें दंत प्रत्यारोपण भी कारगर नहीं है। डेंटल कालेज में ऐसे पहले केस में सफलता मिली है। यह राज्य में किया गया अपने तरह का पहला केस है।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Mon, 17 Oct 2022 10:28:39 AM (IST)
Updated Date: Mon, 17 Oct 2022 10:28:39 AM (IST)

आकाश शुक्ला। रायपुर। राजधानी के शासकीय डेंटल कालेज में साकेट सील तकनीक से मरीजों के ऐसे आधे टूट व हिलते दांत बचाए जा रहे हैं, जिसमें दंत प्रत्यारोपण भी कारगर नहीं है। डेंटल कालेज में ऐसे पहले केस में सफलता मिली है। वहीं यह राज्य में किया गया अपने तरह का पहला केस है।
चिकित्सकों से मिली जानकारी के अनुसार 42 वर्षीय मरीज के सामने के आधे दांत टूट गए थे। प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग में जांच के बाद चिकित्सकों ने पाया कि हड्डी पतली होने की वजह से प्रत्यारोपण भी संभव नहीं हो पाता। वहीं दांत टूटने के बाद सामने के मसूड़े भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, इससे बाद में मरीज के लिए समस्या होती है। इसे देखते हुए चिकित्सकों ने साकेट सील तकनीक का प्रयोग किया गया। ऐसा पहली बार हुआ, जब दांत को बचाने के लिए इस तकनीक को अपनाया गया। इलाज के कुछ महीनों में सामने के सभी दांत बिना प्रत्यारोपण ठीक हो गए।
ऐसे हुआ उपचार
मरीज के दांत की सामने की हड्डी बेहद पतली थी। ऐसे में उनके दांत को घिसकर पतला किया गया। इसके बाद उसके ऊपर इंप्लांट डाला गया। तकनीकी रूप से की गई चिकित्सकीय प्रक्रिया में कुछ समय बाद इंप्लांट चारों तरफ हड्डी में परिवर्तित हो गया। इलाज के बाद मरीज को आगे भी किसी तरह की समस्या नहीं आएगी। चिकित्सकों ने कहा कि ऐसे मरीज अस्पताल में काफी अधिक आते हैं, जिनमें प्रत्यारोपण संभव नहीं होता है। जांच के बाद इस तकनीक से इलाज उनके असली दांतों को सहेजने में कामयाब होंगे।
अब तक 60 दांत प्रत्यारोपण
इधर डेंटल कालेज में दांत प्रत्यारोपण भी लगातार किया जा रहे हैं। दांत प्रत्यारोपण प्रक्रिया शुरू होने के बाद छह माह में 60 दांत प्रत्यारोपण किए गए हैं। इसमें अधिकतर केस दुर्घटना, बुजुर्गों के टूटे दांत व अन्य मरीजों के हैं। निजी अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च होने वाली इन प्रक्रियाओं को डेंटल कालेज में शासकीय दर पर किया जा रहा है। इलाज में बेहतर परिणाम से इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या भी काफी बढ़ रही है।
प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष डा. दीपेश कुमार गुप्ता ने कहा, हड्डी कमजोर होने व प्रत्यारोपण संभव न होने पर साकेट सील तकनीक से मरीजों के गिरते दांत बचाए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया जटिल थी, लेकिन हम सफल रहे। मरीज को भी काफी राहत है।
रायपुर डेंटल कालेज के प्राचार्य डा. वीरेंद्र वाढ़ेर ने कहा, दंत चिकित्सा की उन्नात तकनीकों से मरीजों को इलाज उपलब्ध करा रहे है। यह इलाज निश्शुल्क व शासकीय दर पर इलाज मिल रहा है। बेहतर इलाज से जो भरोसा बढ़ा है। मरीज भी अधिक पहुंच रहे हैं।
डेंटल कालेज पर एक नजर
- 400 से अधिक ओपीडी हर दिन डेंटल कालेज की
- 100 औसत मरीज हर दिन प्रोस्थोडोंटिक्स की ओपीडी में
- 15 दांत प्रत्यारोपण हो रहे अब हर माह