रायपुर। छत्तीसगढ़ के सोनाखान के जिस हिस्से में गोल्ड माइंस का लाइसेंस दिया गया है, वहां केवल 2700 किलो सोना होने का अनुमान है। इतना सोना निकालने के लिए करीब 474 हेक्टेयर में खुदाई की जाएगी। इसमें 414 हेक्टेयर वन क्षेत्र है।
जहां न केवल संरक्षित वन्यजीव रहते हैं बल्कि सागौन और महुआ समेत अन्य कीमती वृक्ष भी हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के माइनिंग लाइसेंस की समीक्षा के निर्देश का न केवल पर्यावरण प्रेमी बल्कि स्थानीय आदिवासियों ने भी स्वागत किया है।
बलौदाबाजार जिला में स्थित सोनाखान में दो वर्ष पहले सोना उत्खन्न् का लाइसेंस जारी किया गया था। सोना उत्खन्न् के विरोध की दो बड़ी वजह है। पहल वहां प्राकृतिक संपदा की तबाही है। दूसरी वजह शहीद वीरनारायण सिंह हैं। शहीद वीरनारायण सिंह की स्मृतियां भी खदान क्षेत्र में आ रहा है। वीरनारायण सिंह को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम शहीद माना जाता है। वीरनारायण सिंह के वंशज अब भी सोनाखान में ही रहते हैं।
पर्यावरण प्रेमियों का तर्क
पर्यावरण व वन्यजीव प्रेमियों ने प्रश्न उठाया है कि जब देश प्रतिवर्ष 700 मैट्रिक टन सोना आयात करता है तो छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में सिर्फ 2700 किलो सोना खनन के लिए क्यों नीलामी की गई? 2700 किलो सोना देश के वार्षिक आयात का सिर्फ 0.39% होता है। सोनाखान से कई वर्षों के खनन में केवल 820 करोड का सोना निकलेगा। उससे अधिक की वनसंपदा नष्ट हो जाएगी।
इको सेंसेटिव जोन
बाघमारा गोल्ड ब्लॉक यानी सोनाखान जो कि बारनवापारा वन अभयारण्य के इको सेंसेटिव जोन से लगा हुआ है। 474 हेक्टेयर भूमि मे माइनिंग की जानी है। इसमें केवल 60 हेक्टेयर नान फारेस्ट क्षेत्र है।
वन्यजीव और पर्यावरण
माइनिंग के लिए प्रस्तावित वन क्षेत्र में तेंदुआ, भालू, बायसन, टाइगर, हिरणों की कई प्रजातियों इत्यादि हैं इसके अलावा यह हाथियों का विचरण क्षेत्र भी है। खनन से वन्यजीव रहवास क्षेत्र में नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा। प्रस्तावित खनन क्षेत्र में सागौन, बास, साजा, बीजा, हल्दू महुआ, तेंदू इत्यादि प्रजातियों के लगभग दो लाख वृक्ष भी हैं।
सरकार के फैसले का स्वागत
सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि वहां माइनिंग का विरोध न केवल स्थानीय लोग बल्कि प्रदेश और देश के पर्यावरण प्रेमी भी कर रहे थे। सिंघवी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से लेकर राज्य के मुख्य सचिव तक का इस माइनिंग लाइसेंस के विरोध में पत्र लिखा था। सिंघवी ने कहा कि सरकार ने जो समीक्षा करने का फैसला किया है वह स्वागत योग्य है।
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