छत्तीसगढ़ के दो स्व सहायता समूह और वनोपज संघ को मिला पृथ्वी अवार्ड
सुशासन और महिला सशक्तिकरण के लिए सम्मानित हुआ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ
By Pramod Sahu
Edited By: Pramod Sahu
Publish Date: Sat, 15 Jul 2023 06:30:16 PM (IST)
Updated Date: Sat, 15 Jul 2023 06:30:16 PM (IST)

रायपुर (राज्य ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ को वैश्विक स्तर पर ईएसजी यानी पर्यावरण, सामाजिक कल्याण और सुशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सरकारी श्रेणी अंतर्गत पृथ्वी अवार्ड 2023 से नवाजा गया। यह पुरस्कार भारत सरकार के कानून और न्याय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने प्रदान की है।
प्रदेश में ग्रामीण विकास और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए गैर सरकारी संगठन-स्वयंसेवक श्रेणी में राज्य के दो स्व-सहायता समूह को भी सम्मानित किया गया। इनमें कवर्धा स्थित जुनवानी गांव की जय बूढ़ा देव स्व-सहायता समूह और बस्तर स्थित आसना गांव की वर्षा स्व-सहायता समूह शामिल है।
नई दिल्ली में 14 और 15 जुलाई को आयोजित ईएसजी ग्लोबल काफ्रेंस में पृथ्वी अवार्ड ईएसजी रिसर्च फाउंडेशन ने प्रदान की है, जो भारत में ईएसजी अनुपालन के लिए एक सराहनीय पहल है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक अनिल राय ने बताया कि संघ लगातार आदिवासी ग्रामीण अंचलों में वनोपज के माध्यम से रोजगार मूलक गतिविधियां कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत है।
करीब 100 से अधिक वन उत्पादों को छत्तीसगढ़ हर्बल्स का ब्रांड नाम दिया गया। वन-धन केंद्रों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के वनांचलों से निकले जैविक शुद्धता वाले तमाम प्रोडक्ट्स के रूप में घरों तक पहुंच रहे हैं। ग्रामीण महिलाएं वनोपज आधारित आर्थिक विकास का माडल बनाने में लगातार शासन-प्रशासन के साथ आगे आ रही हैं।
सशक्तिकरण का जरिया बनी बस्तर की इमली
बस्तर के गांव आसना के वर्षा स्व-सहायता समूह ने अथक प्रयासों से अपने क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित किया है। इसमें कुल 10 महिला स्व-सहायता समूहों के साथ 104 सदस्यों की एक इकाई वन धन योजना अंतर्गत कार्यरत हैं। इमली की प्राथमिक प्रसंस्करण गतिविधि से स्थानीय आबादी को 23 लाख रुपये से अधिक आय प्राप्त हुई है। 3000 से अधिक स्थानीय वनवासी लाभान्वित हुए हैं।
मोटे अनाज को दी नई पहचान
जय बूढ़ा देव स्व-सहायता समूह 10 समूहों के अंतर्गत 244 सदस्यों की इकाई है, जो मोटे अनाज यानि श्री अन्न के उत्पादन और प्राथमिक प्रसंस्करण के लिए कार्यरत है। बीते साल इस समूह ने 30 से 33 रुपये प्रति किलो की दर से करीब 8187 क्विंटल मोटे अनाज की खरीदी की और प्रसंस्कृत किया। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय किसानों को 2.45 करोड़ रुपये का वित्तीय पारिश्रमिक प्राप्त हुआ।