अनिल मिश्रा, रायपुर। विश्व बैंक की हाल ही में रिलीज हुई सालाना रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल की प्रशंसा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में इलेक्ट्रानिक उपकरणों के प्रयोग से लीकेज कम करने में सफलता हासिल की है।
2005 में पीडीएस में लीकेज 52 फीसद था जो 2012 में घटकर नौ फीसद रह गया। विश्व बैंक की 2019 की रिपोर्ट-चेंजिंग नेचर ऑफ वर्क-में दुनिया भर में काम में तकनीकी के इस्तेमाल पर अध्ययन किया गया है। 20 अप्रैल को जारी इस रिपोर्ट में भारत की महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की भी तारीफ की गई है।
कहा गया है कि इन योजनाओं से गांवों में झगड़े खत्म हो गए और स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या बढ़ गई। छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल की तारीफ दुनिया भर में पहले से होती रही है। देश के कई राज्यों ने छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल को अपनाया है।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों ने बताया कि नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनोमिक्स की टीम ने छत्तीसगढ़ के पीडीएस मॉडल पर रिसर्च किया था। विश्व बैंक की रिपोर्ट में उसी अध्ययन के नतीजे लिए गए हैं। छत्तीसगढ़ में पीडीएस के तहत बीपीएल परिवारों को एक रुपये किलो चावल दिया जाता है। नमक, चना आदि भी देने का इंतजाम है।
कई अध्ययनों से पता चला है कि इस योजना से ग्रामीण इलाकों में लोगों के जीवन का स्तर उठा है। पीडीएस में राशन की अफरातफरी की बहुत शिकायतें थीं। सरकार ने पीडीएस दुकानों में कम्प्यूटर लगाए और हितग्राहियों का डिजिटल रिकार्ड रखना शुरू किया। इससे राशन की काला बाजारी में अंकुश लगाने में सफलता मिली है।
फोटो से होती है पहचान
पहले राशन दुकानों से किसे राशन मिला, कितने हितग्राहियों के नाम दर्ज आदि जानकारी राज्य स्तरीय सर्वर को भी नहीं मिल पाती थी। दुकानों में इलेक्ट्रानिक पाइंट ऑफ सेल लगाया गया। सभी आंकड़े डिजिटल दर्ज किए जाने लगे। किसे पात्रता है, किसे राशान दिया गया आदि जानकारी ऑनलाइन की गई। हितग्राहियों की तस्वीर से उनकी पहचान का तंत्र विकसित किया गया। इससे राशन की कालाबाजारी थम गई।
इनका कहना है
मैंने अभी विश्व बैेंक की रिपोर्ट नहीं देखी है। अगर उसमें हमारे पीडीएस मॉडल का उल्लेख किया गया है तो यह महत्वपूर्ण है। हमने पीडीएस को शत प्रतिशत डिजिटल कर लिया है। इससे लीकेज रोकने में बड़ी कामयाबी मिली है।
-ऋचा शर्मा, सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग