रायपुर। प्रदेशभर में शासकीय संस्थानों में योग की नियमित ट्रेनिंग शुरू करने के लिए छत्तीसगढ़ योग आयोग की पहल शुरू हो गई है, जिससे योग की ट्रेनिंग ले चुके युवाओं को रोजगार के साथ-साथ मानदेय भी मिलेगा। नियमित ट्रेनिंग के दौरान योग पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए आयोग ने रविवि, एम्स, आयुष, पतंजलि, आर्ट ऑफ लिविंग जैसे योग प्रशिक्षण दे रही संस्थानों से टीम गठित कर पाठ्यक्रम के लिए सुझाव मांगा है।
इसकी प्रथम बैठक मंगलवार को पं रविशंकर शुक्ल विवि के योग अध्ययन शाला में विभागाध्यक्ष डॉ भगवंत सिंह के मार्गदर्शन में हुई। योग विशेषज्ञों की माने तो प्रोटोकॉल योग के बजाय योग की सभी क्रियाओं को जोड़ते हुए पाठ्यक्रम तैयार करने की आवश्यकता है, जिसके माध्यम से शरीर को निरोग रखा जा सकता है।
हालांकि पाठ्यक्रम को लेकर फाइनल चर्चा होनी है। वहीं आयोग से जुड़े अधिकारी की माने तो गठित टीम के सुझाव को पाठ्यक्रम का आधार मानकर शासन को भेजा जाएगा। इसके बाद जल्द ही इसे पाठ्यक्रम के रूप में योग ट्रेनर के माध्यम से शुरू किया जाएगा।
ट्रेनिंग के आधार पर मिलेगा मानदेय
योग प्रशिक्षकों को इसके लिए छत्तीसगढ़ योग आयोग में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही उनके द्वारा शासकीय विभागों, पंचायतांे, अस्पतालों में ट्रेनिंग दिया जाएगा, साथ ही शासन की तरफ से उन्हें निर्धारित मानदेय भी दिया जाएगा। विभागीय सूत्रों की माने तो लगभग एक दिन की ट्रेनिंग के लिए 500 से 700 रुपया प्रति ट्रेनर को मिलेगा। ट्रेनिंग के दौरान योग से जुड़ी सामग्रियों का वहन आयोग करेगा।
जल्द शुरू होगी क्लास
प्रदेश के शासकीय स्कूलों में योग टीचर रखने की चर्चा पिछले सरकार के कार्यकाल में हुई थी, लेकिन इस मामले में सिर्फ चर्चा ही हो सकी। वहीं मौजूदा सरकार ने ट्रेनिंग ले चुके योग प्रशिक्षकों को पाठ्यक्रम से जोड़ने के लिए पहल शुरू कर दी है। पाठ्यक्रम तय होते ही जल्द प्रदेश स्तर पर टेनिंग शुरू हो जाएगी।