रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। प्रदेश में जुआ और सट्टे का कारोबार गली, कूचों या फिर होटलों में चल रहा था, जिस पर पुलिस कार्रवाई भी करती रही है, लेकिन बीते कुछ सालों में आनलाइन गेमिंग का कारोबार बड़ा आकार ले चुका है। आनलाइन गेम बनाने वाले सट्टा कारोबारी मोबाइल एप के जरिए लोगों तक गेम पहुंचा रहे हैं, जिसे जीतने पर गिफ्ट या नकद धनराशि देने का आफर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, इंटरनेट मीडिया पर खुलेआम इसके विज्ञापन का प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। इसमें कई सेलिब्रिटीज को शामिल किया गया है।
आनलाइन खेले जाने वाले इस जुए के खेल में सबसे ज्यादा संलिप्तता युवाओं की है। जो आनलाइन गेम के चक्कर में फंसकर समय और पैसा दोनों गंवा रहे हैं। आनलाइन गेमिंग में सबसे ज्यादा रमी सर्कल, पोकर खेल रहे हैं, लेकिन इस पर पुलिस की कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
10 से लेकर एक लाख रुपये तक का लगा रहे जुआ
कालेज स्टूडेंट्स इन खेलों में पैसा फूंक रहे हैं। युवतियां तक उनकी गिरफ्त में आ रही हैं। खेल के पहले चरण में 10 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक दांव लगा सकते हैं। दूसरे चरण में एक लाख तक का गेम खेल सकते हैं, लेकिन इसमें पाइंट मिलने के बाद भी जीतने की संभावना नहीं रहती। इसके बाद भी स्कूल, कालेज के युवा इन खेलों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। हाल ही में राजधानी रायपुर में एक मोटर कंपनी के कैशियर ने कंपनी के 18 लाख रुपये आनलाइन रमी गेम खेलकर फूंक दिया। कंपनी के मैनेजर ने कैशियर के खिलाफ अपराध दर्ज करवाया है। हालांकि आरोपित अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है।
ऐसे लग रही गेम की लत
आनलाइन गेम के जरिए जुआ खेलने का धंधा घरों तक पहुंच गया है। साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू बताते हैं कि फेसबुक पर आजकल बहुत सारे गेम्स आ रहे हैं। इन गेम्स को कसीनो गेम्स कहा जाता है। सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि लोगों को इसकी लत लग जाती है, क्योंकि यह मल्टीप्लेयर गेम होते हैं। पाइंट इसमें लोगों को मिलते हैं, हमेशा से यह रहा है कि जो भी गेम मल्टीप्लेयर रहा है। उसमें रियल टाइम यूजर होते हैं। मल्टीप्लेयर होते हैं। वे बहुत ही पापुलर होते हैं। इन गेम्स में भी कुछ ऐसा ही है। लत लगने के कारण पाइंट हारने पर युवा फिर पैसे खर्च कर पाइंट खरीदने को विवश हो जाता है।
बचने की जरूरत
ऐसे गेम्स से युवाओं को बचने की जरूरत है। कम उम्र के बच्चे पैसे लगा रहे हैं। पुलिस की ओर से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
- अभिषेक महेश्वरी, एडिशनल एसपी, क्राइम, रायपुर