
नईदुनिया प्रतिनिधि, राजनांदगांव। डोंगरगांव और छुरिया क्षेत्र के 70 से अधिक किसानों की 210 एकड़ खेती जमीन को साहूकार द्वारा फर्जी तरीके से हड़पने का मामला सामने आया है। रसूखदार साहूकार ने किसानों को कर्ज देते समय उनकी जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी ले लिया। ब्याज सहित मूलधन की वापसी के बाद भी उनकी जमीन जबर्दस्ती अपने नाम रजिस्ट्री करा ली गई।
पीड़ित किसान पिछले 11 वर्ष से अपनी जमीन वापस पाने संघर्ष कर रहे हैं। तत्कालीन तहसीलदार और एसडीएम ने भी किसानों के पक्ष में निर्णय देते हुए साहूकार के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कर दी थी, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते आज तक उस पर अमल नहीं हो सका। इस अवधि में छह तहसीलदार और आठ एसडीएम बदल गए।
पीड़ितों की 75 पेशी हो चुकी, लेकिन न्याय की प्रतीक्षा समाप्त नहीं हुई। अब वे बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। ग्राम बंशी बंजारी के पीड़ित लीलाराम साहू ने बताया कि शादी, मकान निर्माण और इसी तरह के आवश्यक कार्यों के लिए ग्रामीणों ने अमित व सुमीत गांधी के पिता मानिक गांधी से कर्ज लेते रहे हैं। इसके बदले जमीन को पावर ऑफ अटॉर्नी करा ली जाती थी। कर्ज की राशि ब्याज के साथ चुकाने के बाद भी अटॉर्नी के माध्यम से अपने लोगों के नाम रजिस्टर्ड करा ली गई। इनमें मानिकपुर, भंडारपुर, दाउटोला, बम्हनीभाठा आदि गांवों के किसान भी शामिल हैं। पीड़ित किसानों के ट्रैक्टर भी छीन लिया गया था, जिसे राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद वापस किया गया था।
छुरिया के तत्कालीन तहसीलदार ने अपने जांच प्रतिवेदन में लिखा है कि क्रेता पक्ष के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। बाद में तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) ने भी तहसीलदार के निर्णय पर मुहर लगाते हुए कलेक्टर को आगे की कार्रवाई की अनुशंसा के साथ प्रतिवेदन भेज दिया। हालांकि कार्रवाई वहां भी नहीं हुई। तब पीड़ित किसानों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। व्यवहार न्यायालय ने भी प्रभावी कार्रवाई की अनुशंसा की थी। न्यायालय ने यह भी कहा कि कार्रवाई के लिए एसडीएम न्यायालय सक्षम है। इसके बाद अब तक भी प्रकरण पर निर्णय नहीं दिया जा सका है।
वर्ष 2014 से चल रहे इस प्रकरण में अब तक रिकॉर्ड 75 बार पेशी हो चुकी है। दोनों पक्षों का बयान दर्ज करने के साथ ही गवाहों और अन्य ग्रामीणों का भी बयान दर्ज किया जा चुका है। यह तहसील, एसडीएम और व्यवहार न्यायालय में भी हो चुका है। एसडीएम कोर्ट ने अगली पेशी तीन नवंबर को दी है। यह 76वीं पेशी होगी। विधानसभा अध्यक्ष से लेकर मंत्रियों तक लगाई गुहार फिर भी निराशा मिली।
ऑफिस में नहीं बल्कि घर में बुलाकर कराई गई रजिस्ट्री
किसी भी रजिस्ट्री में ग्रामीण के बदल अपने कर्मचारियों को बनाया साक्षी
अधिकांश रजिस्ट्री रात को ही कराई गई
आदिवासी और हरिजन किसानों की भी जमीन दबावपूर्वक हड़पने की शिकायत
तहसीलदार और एसडीएम के समक्ष बयान में साक्षियों ने किसानों के पक्ष में दिया बयान
मारपीट व धमकी की शिकायत थाने में भी की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई
यह प्रकरण वर्तमान में न्यायालयीन प्रक्रिया में है। इस कारण मैं इस विषय में किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दे पाउंगा। वैसे दोनों पक्षों को अद्यतन स्थिति की जानकारी है। उनसे जानकारी ली जा सकती है। श्रीकांत कोर्राम, डोंगरगांव एसडीएम
दबावपूर्वक जमीन की रजिस्ट्री की शिकायत शत-प्रतिशत झूठी है। नियमानुसार जमीन खरीदी गई है। वैसे प्रकरण अभी अनुविभागीय अधिकारी के न्यायालय में लंबित है। न्यायालय अपना निर्णय देगा। अमित गांधी, खेतों के खरीदार।