रोहित देवांगन, राजनांदगांवः कक्षा में पीछे बैठने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रचलित शब्द बैकबेंचर को उनके पढ़ाई में कमजोर होने या कई बार उनके आत्मविश्वास की कमी से भी जोड़ा जाता है, लेकिन स्कूलों में यह व्यवस्था सतत चलती आ रही है, अब छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पिपरिया स्थित प्राथमिक शाला ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है। यहां कक्षा में अब कोई भी विद्यार्थी पीछे नहीं बैठता। उन्हें 'यू' आकार में बैठाया जाता है। इस बदलाव से सुनिश्चित किया गया है कि हर विद्यार्थी पहली कतार में रहे और शिक्षक को स्पष्ट देख सके। इससे बच्चों में आत्मविश्वास और सक्रियता बढ़ी है।
शिक्षा सत्र की शुरुआत में शिक्षकों ने खुद इस बदलाव को बारीकी से परखा और इसके सकारात्मक परिणामों को अभिभावकों के साथ साझा किया। शिक्षिका सुमिता शर्मा बताती हैं कि इससे शिक्षक-छात्र का जुड़ाव बढ़ता है और वह हर बच्चे पर पूरा ध्यान दे पाती हैं। परिणाम स्वरूप, बच्चों की पढ़ाई में रुचि बढ़ी है और सभी को बराबर अवसर मिल रहा है। प्राथमिक शाला, पिपरिया में प्रत्येक कक्षा में 20 से 25 बच्चे हैं। यहां अपनाई गई 'यू' आकार की बैठक व्यवस्था ने पारंपरिक कक्षाओं में पीछे बैठने वाले छात्रों को होने वाली बोर्ड देखने या समझने की दिक्कत को पूरी तरह खत्म कर दिया है।
इस नई व्यवस्था में सभी बच्चे ध्यान से पढ़ते और बेझिझक सवाल पूछते नजर आ रहे हैं, जिससे बैकबेंचर का भेद समाप्त हो गया है। इस स्कूल में पहली से पांचवीं तक कुल 82 छात्र अध्ययनरत हैं। यह बैठक व्यवस्था सभी छात्रों को कक्षा में समान रूप से शामिल होने और सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर दे रही है। यह एक बेहद सकारात्मक बदलाव है, जो छात्रों के बीच समान अवसर और भागीदारी को बढ़ावा देता है।
विद्यार्थियों को कक्षा में यू-शेप में बैठाने का विचार 2024 में आई मलयालम फिल्म 'स्थानार्थी श्रीकुट्टन' से प्रेरित है, जिसमे एक छात्र को पिछली सीट पर बैठने के कारण अपमान झेलना पड़ा और उसने इस अनोखी व्यवस्था का सुझाव दिया। शिक्षकों के अनुसार यह पारंपरिक व्यवस्था से ज्यादा कारगर है। शिक्षक हर बच्चे पर समान रूप से ध्यान देते हैं और बच्चे भी सीधा जुड़ाव महसूस करते हैं। तमिलनाडु सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों के बैठने की व्यवस्था में इसी तरह से बदलाव करने का आदेश दिया है।
प्राथमिक शाला में विद्यार्थियों को एक निजी स्कूल की तर्ज पर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। यहां की दीवारों से बच्चे ज्ञानवर्धक जानकारियां अर्जित कर रहे हैं। स्कूल की दीवारों पर पढाई से संबंधित चित्र, चार्ट और स्लोगन लिखाए गए हैं। दीवारों में ए से जेड तक अक्षर, गिनती, रंगों के नाम, जानवरों के नाम, फलों के नाम, शरीर के अंगों के नाम, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित संदेश लिखे हैं।
कक्षा में पहली पंक्ति की बेच में बैठने को लेकर बच्चे अक्सर झगड़ा करते थे। अभिभावकों की भी शिकायतें आती थीं, तभी मन में नवाचार करने का ख्याल आया और बच्चों को यू-आकार में बैठाकर पढ़ाई करना शुरू की। ऐसा करने से विद्यार्थी और शिक्षक के बीच समन्वय भी बेहतर हुआ है- सुमिता शर्मा, शिक्षिका