डोंगरगढ़ (नईदुनिया न्यूज)। नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा साहित्यकार सुमित्रानंदन पंत जयंती आनलाइन मनाई गई। प्राचार्य डा.केएल टांडेकर ने काव्य जगत में पंत को कोमल भावनाओं के कवि के रूप में वर्णित किया गया। विभागाध्यक्ष डा.नीता ठाकुर ने कहा कि पंत बहुमुखी प्रतिभा संपन्ना युग प्रवर्तक साहित्यकार थे। उन्होंने साहित्य की विभिन्ना विधाओं में सृजन कार्य किया। जहां लोकायतन लोक जीवन का महाकाव्य है। वहीं वीणा प्रकृति के अलौकिक सौंदर्य से पूर्ण रचना तथा ग्रंथ में वियोग का स्वर प्रमुख है। डा.येशुक्रिती हजारे ने उनकी रचनाओं का वर्णन करते हुए कहा कि स्वर्णधूलि, स्वर्ण किरण, युगपथ, उतरा में पंत महर्षि अरविंद के नवचेतना वाद से प्रभावित है। युगवाणी, युगांत और ग्राम्या में कवि समाजवाद और भौतिक दर्शन की ओर उन्मुख हुए है। पाश्चात्य साहित्यकार शैली का प्रभाव पंत की रचनाओं में देखा जा सकता है।
मानवतावादी विचार के पक्षधर थे
डा.मेधाविनी तुरे ने कहा कि पंत का जन्म प्रकृति के सानिध्य में हुआ। अतः प्रकृति के विभिन्ना वर्णन इनकी रचनाओं में मिलते हैं। जिनका जन्म 20 मई 1900 कौसानी नामक ग्राम में हुआ। पंडित मानवतावादी विचारधारा के पक्षधर है। ताज जैसी उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक है। चिदंबरा रचना के लिए इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एमए तृतीय सेमेस्टर हिंदी की छात्रा राजी सिंह ने पंत को सुकुमार कवि के रूप में वर्णित किया। गोपाल दरगढ द्वारा पंत का प्रकृति प्रेम,चिरंजीव धमगाय द्वारा पंत जी की कविताओं का वाचन, देवकी गायकवाड रचना संसार, सुजाता निषाद द्वारा उनका जीवन वृत्त, बीएससी भाग दो की छात्रा हेम भाई द्वारा काव्य वाचन किया गया।