सतीश चांडक, नईदुनिया, सुकमा: मात्र नौ दिनों में चार सुरक्षा कैंपों के खुलने से सुकमा जिले के गोलापल्ली गांव के लोगों को कोंटा ब्लॉक मुख्यालय पहुंचने के लिए अब 45 किमी की ही यात्रा करनी पड़ रही है। इससे पहले गोलापल्ली जाने के लिए तेलंगाना होकर 140 किमी का चक्कर लगाना पड़ता था। तेलंगाना से सटा यह क्षेत्र माओवादी रमन्ना का गढ़ था।
19 वर्षों के बाद यह सड़क अब शुरू हो गई है। जिले के कोंटा में सुरक्षा बलों ने आठ से 16 सितंबर के बीच तुमालभट्टी -उसकावाया, वीरागंगरेल, मेहता और पालीगुड़ा में चार नए कैंप स्थापित किए हैं। इससे वर्षों से बंद कोंटा-गोलापल्ली मार्ग फिर से खुल गया है। निर्माण के बीच दोपहिया वाहनों का आवागमन शुरू हो चुका है। अब इस सड़क के बनने से दो दर्जन से ज्यादा गांव सीधे ब्लाक मुख्यालय से जुड़ सकेंगे।
2006 में सलवा जुडूम आंदोलन के बाद माओवादियों ने क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और मुख्य रास्ते को बंद करवा दिया और पूरे इलाके को विकास से काट दिया था। इसलिए ग्रामीणों को अपने जरूरी काम के लिए मरईगुडा और लक्ष्यपुरम से तेलंगाना होकर 140 किमी की दूरी तय कर कोंटा आना पड़ता था।
नए सुरक्षा कैंपों के चलते सड़क निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। बीते दो सालों में सुरक्षा बलों की लगातार मौजूदगी ने माओवादियों की गतिविधियों को काफी हद तक सीमित कर दिया है। पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने कहा कि नए कैंपों से न केवल शांति स्थापित होगी, बल्कि कोंटा-गोलापल्ली सड़क का निर्माण भी तेजी से पूरा होगा। जहां कभी खौफ का साया था, अब वहां सड़क और उम्मीद की गूंज सुनाई दे रही है।
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रावुलु श्रीनिवास उर्फ रमन्ना सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य था। उस पर छत्तीसगढ़ में 40 लाख रुपये सहित कुल 2.40 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव भी था। वह बस्तर क्षेत्र में कई बड़े माओवादी हमलों का मास्टरमाइंड था। इनमें 2010 का ताड़मेटला हमला भी शामिल है, जिसमें 76 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। इसके साथ ही वह 2013 के झीरम घाटी हमला का भी योजनाकार था, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मारे गए थे। दिसंबर, 2019 में बीमारी के चलते बस्तर में उसकी मौत हो गई थी।