नईदुनिया प्रतिनिधि, सुकमा: जिले के माओवाद प्रभावित इलाकों में कई ऐसे गांव है जहां आजादी के बाद पहली बार शान से तिरंगा लहराया गया, जो कभी काले झंडे और माओवादियों के फरमान सुना करते थे वहां तिरंगे को सलाम किया गया, देशभक्ति के नारों और गानों से गूंजा उठा। ये सब संभव हुआ है सुरक्षा बलों के प्रयास से, जहां कैंप खुले है वहा आजादी के मायने विकास में बदल दिए गए। सड़के बन रही है, नेटवर्क स्थापित हो रहा है, बिजली की रोशनी से ग्रामीणों की उम्मीदें चमक रही है।
79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बस्तर संभाग ते माओवादी क्षेत्र में भी आजादी का जश्न मनाया गया। कभी नक्सलवाद की काली छाया में घिरे तुमलपाड़ और पूवर्ती गांव में उत्सव सा माहौल दिखा। ये वही गांव हैं जहां की फिजाओं में कभी सन्नाटा और खौफ पसरा रहता था। बंदूक और बारुद के शोर से बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक डरे सहमे रहते थे, लेकिन अब समय बदल चुका है। जब से केंद्र सरकार ने पूरे भारत को माओवाद मुक्त बनाने का अभियान छेड़ा है, तब से माओवाद प्रभावित के गांवों में विकास की बयार बही है। अब बंदूक और बारुद की जगह आजादी और तरक्की ने ले ली है।
15 अगस्त के मौके पर सुबह से ही गांवों में उत्साह सा माहौल था। महिलाएं ताजा फूलों की मालाएं बना रही थीं, बच्चे हाथों में तिरंगे लेकर दौड़ते-खेलते नजर आ रहे थे। बुजुर्ग भी तैयारियों का जायजा ले रहे थे। जिस चौक पर कभी माओवादी सभाएं हुआ करती थीं, वहां आज सुरक्षा बलों और ग्रामीणों ने मिलकर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। जैसे ही आसमान में तिरंगा लहराया, पूरा इलाका “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के नारों से गूंज उठा।
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गांव के ग्रामीणों ने बड़े ही गर्व से कहा कि आज का दिन हमारे लिए सिर्फ स्वतंत्रता दिवस नहीं, बल्कि नया जीवन है। अब यहां डर नहीं, सिर्फ विकास की बात होगी। हमारी आने वाली पीढ़ियां तिरंगे के साए में बढ़ेंगी, न कि बंदूक के साए में।
जिले के तुमलपाड़ पूवर्ती जैसे अंदरूनी क्षेत्रों में कैंप खोले गए कैंप के बाद इन माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क बिजली स्वास्थ्य सुविधा ओर अन्य जनकल्याण कारी योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है। जिसके कारण स्वतंत्रता दिवस के दिन भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। यह दर्शाता है कि ग्रामीण के बीच विश्वास और भरोसा कायम करने में सुरक्षा बल कामयाब हो रही है।
- किरण चव्हाण, सुकमा पुलिस अधीक्षक